ओडिशा के राज्यपाल रघुवर दास ने मंगलवार देर रात अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उनकी जगह मिजोरम के राज्यपाल हरिबाबू गरडिया को ओडिशा का नया राज्यपाल नियुक्त किया गया है। रघुवर दास के इस्तीफे के बाद झारखंड की राजनीति में उनकी वापसी की अटकलें तेज हो गई हैं।

सूत्रों के मुताबिक, रघुवर दास झारखंड में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष की भूमिका निभा सकते हैं। इसके अलावा, उनकी बहू पूर्णिमा साहू जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा सीट छोड़ सकती हैं, जिससे यह संकेत मिल रहे हैं कि रघुवर दास इस सीट से चुनाव लड़ सकते हैं।

राजनीति में वापसी का संकेत

रघुवर दास झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं और राज्य की राजनीति में उनका प्रभावी स्थान रहा है। हालांकि, 2019 के विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था, जिसके बाद से वे सक्रिय राजनीति से दूर थे। अब उनके दोबारा राजनीति में सक्रिय होने की चर्चा जोरों पर है।

भाजपा में बदलाव का संकेत

झारखंड में आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों को देखते हुए भाजपा में बड़े बदलाव किए जा सकते हैं। रघुवर दास को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की संभावनाओं को इसी दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।

झारखंड की राजनीति पर असर

रघुवर दास के इस्तीफे और संभावित वापसी का झारखंड की राजनीति पर गहरा असर पड़ सकता है। विपक्षी दलों ने इस घटनाक्रम पर अपनी नजरें टिकाई हुई हैं। झारखंड में वर्तमान में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और कांग्रेस गठबंधन के खिलाफ भाजपा नए सिरे से अपनी रणनीति तैयार कर सकती है।

आने वाले दिनों में स्थिति होगी स्पष्ट

रघुवर दास की झारखंड में सक्रियता को लेकर फिलहाल कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। लेकिन उनके कदम भाजपा की राज्य इकाई और आगामी चुनावों के लिए निर्णायक हो सकते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले दिनों में झारखंड की राजनीति में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं।


नोट: रघुवर दास का इस्तीफा और झारखंड की राजनीति में उनकी संभावित वापसी, दोनों ही विषय भाजपा और अन्य दलों के लिए अहम हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि राज्य की राजनीतिक दिशा किस ओर मुड़ती है।

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