मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मेधा डेयरी कार्यक्रम में किसानों को दी राहत की सौगात, पशुपालन को बनाएंगे आय का स्थायी साधन

झारखंड सरकार ने पशुपालकों और किसानों को आर्थिक सुरक्षा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने घोषणा की है कि राज्य के किसी भी किसान को अब बिना बीमा के मवेशी नहीं दिए जाएंगे। सरकार की योजना के अनुसार, गाय, बकरी, सूअर या मुर्गी जैसे पशुओं की मृत्यु होने पर किसानों को बीमा के माध्यम से लागत का मुआवजा मिलेगा।

मुख्यमंत्री ने यह घोषणा रांची के होटवार स्थित मेधा डेयरी प्लांट परिसर में झारखंड के पहले मिल्क पाउडर प्लांट की आधारशिला रखने के दौरान की। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में किसानों, पशुपालकों और अधिकारियों की मौजूदगी में सोरेन ने साफ किया कि अब सरकार पशुधन के क्षेत्र में भी आर्थिक जोखिम प्रबंधन की दिशा में ठोस काम कर रही है।

बीमा से घटेगा नुकसान, बढ़ेगी आत्मनिर्भरता

मुख्यमंत्री ने कहा कि कभी-कभी बीमारी या अन्य कारणों से किसानों के पशु अचानक मर जाते हैं, जिससे उन्हें भारी नुकसान झेलना पड़ता है। बीमा योजना के लागू होने से यह नुकसान अब काफी हद तक कम हो सकेगा। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि कोई भी पशु वितरण योजना अब बीमा के दायरे से बाहर नहीं होनी चाहिए।

गांव-गांव तक दूध संग्रहण केंद्र की योजना

सरकार अब राज्य के प्रखंड और पंचायत स्तर तक दूध संग्रहण केंद्र स्थापित करने की योजना पर काम कर रही है। मुख्यमंत्री के अनुसार, इससे न केवल दूध का सही मूल्य सुनिश्चित होगा, बल्कि पशुपालकों की आमदनी में भी बढ़ोतरी होगी। इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि आगामी वर्षों में राज्य को मछली और पोल्ट्री उत्पादन में भी आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य तय किया गया है।

पोषण और स्वास्थ्य पर भी दिया गया जोर

मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कुपोषण की समस्या की ओर इशारा करते हुए कहा कि बाजार में नकली और रसायनयुक्त खाद्य पदार्थों के कारण बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि अगर ग्रामीण परिवार अपने घरों में गाय, बकरी जैसे पशु पालते हैं, तो उन्हें शुद्ध और पौष्टिक भोजन मिलेगा, जिससे कुपोषण से लड़ने में मदद मिलेगी।

लॉन्च किए गए नए उत्पाद और योजनाएं

इस मौके पर मुख्यमंत्री ने ‘मेधा रागी लड्डू’ और ‘सुधन खाद’ जैसे नवाचार उत्पाद लॉन्च किए। साथ ही नगड़ी में एक साइलेज (चारा) प्लांट का ऑनलाइन शिलान्यास भी किया गया, जो पशुपालकों को चारे की समस्या से निजात दिलाएगा।

कार्यक्रम में मौजूद अधिकारी व जनप्रतिनिधि

कार्यक्रम में राज्य के कृषि मंत्री, संबंधित क्षेत्र के विधायक, पशुपालन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के पदाधिकारी भी मौजूद थे। सभी ने राज्य के पशुधन एवं डेयरी विकास को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया।

निष्कर्ष

मुख्यमंत्री का यह ऐलान राज्य में पशुपालन को एक सुरक्षित और लाभकारी उद्यम बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। इससे न केवल किसानों की आय में स्थिरता आएगी, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।

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