झारखंड में ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है। राज्य सरकार ने 1117 नए स्वास्थ्य उपकेंद्र भवनों के निर्माण के लिए 6 अरब 19 करोड़ रुपये की स्वीकृति प्रदान की है। यह स्वीकृति वित्तीय वर्ष 2024-25 और 2025-26 के लिए 15वें वित्त आयोग की अनुशंसा के तहत दी गई है।
प्रत्येक उपकेंद्र भवन पर अनुमानित 55.5 लाख रुपये की लागत आएगी। अपर मुख्य सचिव अजय कुमार सिंह द्वारा इस योजना को स्वीकृत किए जाने के बाद, स्वास्थ्य विभाग ने इसके क्रियान्वयन की प्रक्रिया तेज कर दी है। यह पहल राज्य के उन ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा की पहुंच को मजबूत करेगी, जहां अब तक बुनियादी ढांचा भी उपलब्ध नहीं है।
कहां-कहां बनेंगे ये उपकेंद्र?
जनगणना 2011 के अनुसार, झारखंड में कुल 4345 पंचायत हैं। इनमें से 949 पंचायतें ऐसी हैं, जहां किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य सुविधा मौजूद नहीं है। राज्य स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक प्रमुख की रिपोर्ट के अनुसार इन क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं की तत्काल आवश्यकता है। इन्हीं जरूरतों को ध्यान में रखते हुए नए उपकेंद्रों के निर्माण की यह योजना बनाई गई है।
योजना का दायरा और प्रावधान
स्वीकृत कुल 1117 उपकेंद्रों में से 1095 भवनों का निर्माण पूरी तरह नए सिरे से होगा, जबकि 22 केंद्रों का निर्माण विभागीय पुनःसंयोजन (inter-component adjustment) के तहत किया जाएगा। यह परियोजना, स्वशासी निकायों के माध्यम से संचालित की जाएगी, जिससे निर्माण और संचालन में पारदर्शिता बनी रहे।
सरकार की मंशा और संभावित प्रभाव
स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि इस परियोजना का उद्देश्य सिर्फ भवन खड़ा करना नहीं, बल्कि दूरस्थ क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण और सुलभ प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना है। इन उपकेंद्रों में प्रसवपूर्व देखभाल, टीकाकरण, बाल स्वास्थ्य और सामान्य चिकित्सा जैसी सेवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
सरकार का मानना है कि इस पहल से स्वास्थ्य प्रणाली पर बोझ कम होगा और ग्रामीण आबादी को समय पर इलाज मिल सकेगा, जिससे शिशु और मातृ मृत्यु दर में भी गिरावट आ सकती है।
निष्कर्ष:
झारखंड में स्वास्थ्य उपकेंद्रों की यह योजना न केवल आधारभूत संरचना को विस्तार देने का प्रयास है, बल्कि यह ग्रामीण जनता को बुनियादी स्वास्थ्य अधिकारों से जोड़ने की दिशा में एक ठोस कदम भी है। यदि समयबद्ध तरीके से इन भवनों का निर्माण पूरा होता है, तो यह राज्य के स्वास्थ्य मानकों को काफी हद तक सुधार सकता है।