बोकारो:
झारखंड के बोकारो स्थित स्टील प्लांट में मंगलवार को एक गंभीर औद्योगिक हादसा सामने आया, जिसने कर्मचारियों और स्थानीय प्रशासन को चौंका दिया। हादसा स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) के स्टील मेल्टिंग शॉप-2 (SMS-2) यूनिट में हुआ, जहां एक तकनीकी खामी के चलते पिघले लोहे का रिसाव हो गया। इससे निकली गर्म भाप की चपेट में आकर पांच मजदूर बुरी तरह झुलस गए।
कैसे हुआ हादसा?
घटना उस समय हुई जब स्टील उत्पादन प्रक्रिया के दौरान लोहे को पिघलाने और स्थानांतरित करने में इस्तेमाल होने वाला लैडल अचानक फेल हो गया। इसकी वजह से पिघला हुआ लोहा नीचे रिसने लगा। जैसे ही कर्मचारियों ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पानी का छिड़काव किया, तो लोहे और पानी की प्रतिक्रिया से एक घना भाप का गुबार बना, जिसने पास खड़े मजदूरों को चपेट में ले लिया।
तत्काल अस्पताल में भर्ती, सभी की हालत स्थिर
घटना के तुरंत बाद घायल पांचों मजदूरों को पास के बोकारो जनरल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। अस्पताल सूत्रों के अनुसार सभी का प्राथमिक इलाज कर दिया गया है और वे अब खतरे से बाहर हैं। कुछ मजदूरों को मामूली चोटें आईं, जबकि दो को थोड़ी देर निगरानी में रखा गया।
हादसे के कारणों की जांच शुरू
सेल प्रबंधन ने हादसे को गंभीरता से लेते हुए आंतरिक जांच के आदेश दिए हैं। प्राथमिक स्तर पर लैडल की तकनीकी खराबी को कारण माना जा रहा है, लेकिन जांच समिति यह भी देख रही है कि कहीं सुरक्षा मानकों में कोई चूक तो नहीं हुई। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, “हर पहलू की समीक्षा की जा रही है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।”
प्लांट का उत्पादन कार्य जारी
इस घटना के बावजूद स्टील प्लांट का परिचालन बाधित नहीं हुआ है। प्रबंधन ने स्पष्ट किया है कि सभी सुरक्षा उपायों के तहत उत्पादन कार्य सुचारु रूप से चल रहा है और सभी यूनिट्स सामान्य रूप से काम कर रही हैं।
सुरक्षा मानकों पर फिर उठे सवाल
यह हादसा एक बार फिर औद्योगिक इकाइयों में सुरक्षा मानकों की स्थिति को लेकर सवाल खड़ा करता है। हालांकि कर्मचारियों ने बहादुरी से स्थिति को संभाला, लेकिन अगर भाप अधिक देर तक बनी रहती, तो बड़ा नुकसान हो सकता था।
निष्कर्ष:
बोकारो स्टील प्लांट में हुआ यह हादसा भले ही किसी बड़ी त्रासदी में नहीं बदला, लेकिन यह एक चेतावनी है कि उत्पादन से जुड़े हर स्तर पर सतर्कता और नियमित जांच जरूरी है। प्रशासन की तत्परता से मजदूरों की जान बचाई जा सकी, लेकिन सुरक्षा संस्कृति को और सुदृढ़ किए बिना भविष्य सुरक्षित नहीं हो सकता।