रांची:

मई महीना झारखंड के रेल यात्रियों के लिए एक बड़ी परीक्षा जैसा साबित हुआ। दक्षिण-पूर्व रेलवे की तकनीकी अव्यवस्थाओं और रेक प्रबंधन की विफलता के चलते यात्रियों को बार-बार विलंबित ट्रेनों, रद्दीकरण और अनिश्चित यात्रा समय की मार झेलनी पड़ी। स्थिति इतनी खराब रही कि सिर्फ एक महीने में 10 से अधिक ट्रेनों का समय नौ बार से ज्यादा बदला गया, जबकि कई ट्रेनों को आखिरी समय में रद्द कर दिया गया।

बार-बार समय में बदलाव, यात्री परेशान

रेलवे प्रशासन के मुताबिक तकनीकी कारणों और लिंक रेक के देर से पहुंचने की वजह से रांची रेल मंडल की प्रमुख ट्रेनें घंटों विलंब से चलीं। इससे न केवल यात्रियों को स्टेशन पर लंबा इंतजार करना पड़ा, बल्कि गर्मी और भीड़ की वजह से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। यात्रियों के साथ आए परिजन भी घंटों तक असमंजस की स्थिति में रहे।

गर्मी में उमस, धूप और भूख-प्यास से बिगड़ी हालत

विशेष रूप से गर्मी के इस मौसम में जब तापमान 40 डिग्री के पार पहुंच रहा है, तब स्टेशनों पर घंटों इंतजार करना यात्री स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो रहा है। बाहर से आने वाली वंदेभारत, जनशताब्दी और शताब्दी एक्सप्रेस जैसी प्रीमियम ट्रेनें भी समय पर नहीं चल पा रहीं, जिससे दूर से यात्रा कर रहे लोग अधिकतम प्रभावित हो रहे हैं। कई छात्रों की परीक्षाएं और उम्मीदवारों के इंटरव्यू तक छूटने की खबरें सामने आई हैं।

मजदूर, स्टूडेंट और सब्जी विक्रेता सबसे ज्यादा प्रभावित

दैनिक मजदूरी करने वाले, कार्यरत कर्मी, विद्यार्थी और छोटे व्यापारी – खासकर सब्जी विक्रेता – जो रांची आने-जाने के लिए रोजाना ट्रेन पर निर्भर करते हैं, उन्हें बार-बार की अनिश्चितता से भारी परेशानी हो रही है। रांची और हटिया जैसे प्रमुख स्टेशनों पर यात्री घंटों लाइन में खड़े नजर आए, परंतु रेलवे की ओर से न तो कोई संतोषजनक जवाब मिला, न ही वैकल्पिक व्यवस्था।

कब-कब हुई ट्रेनों में गड़बड़ी?

मई महीने की प्रमुख घटनाएं इस प्रकार रही:

  • 2 जून: रांची-पटना जनशताब्दी एक्सप्रेस 1 घंटे 20 मिनट विलंब
  • 2 जून: हावड़ा-रांची वंदेभारत 3 घंटे 40 मिनट विलंब
  • 29 मई: झारसुगुड़ा-हटिया मेमू रद्द
  • 27 मई: हटिया-झारसुगुड़ा मेमू रद्द (पटरी समस्या के कारण)
  • 24 मई: रांची-हावड़ा शताब्दी 4 घंटे विलंब
  • 23 मई: वही ट्रेन 5 घंटे 10 मिनट विलंब
  • 21 मई: हटिया-हावड़ा क्रियायोग एक्सप्रेस 1 घंटा लेट
  • 21 मई: रांची-हावड़ा शताब्दी 5 घंटे 35 मिनट विलंब
  • 20 मई: रांची-मदार स्पेशल 6 घंटे 20 मिनट लेट
  • 14 मई: हावड़ा-रांची वंदेभारत 4 घंटे लेट
  • 10 मई: बोकारो-रांची-बोकारो ट्रेन रद्द
  • 9 मई: रांची-गोरखपुर एक्सप्रेस 4 घंटे से ज्यादा लेट

रेलवे प्रशासन की चुप्पी

इन सब के बावजूद मंडल या क्षेत्रीय रेलवे प्रशासन की ओर से किसी स्पष्ट कारण या समाधान की जानकारी नहीं दी गई है। रेक देर से आने का हवाला दिया जा रहा है, पर इसकी ज़िम्मेदारी किसकी है, यह बताने से हर कोई बच रहा है। यात्रियों का गुस्सा सोशल मीडिया और स्टेशन पर साफ तौर पर दिखा।

निष्कर्ष:

झारखंड के यात्रियों को इस बार रेलवे से बेहद निराशा मिली है। लगातार हो रही अनियमितता न केवल यात्रियों के समय और ऊर्जा को नष्ट कर रही है, बल्कि रेल प्रशासन की लापरवाही और जवाबदेही की कमी को भी उजागर करती है। जबतक लिंक रेक और ट्रेन संचालन में पारदर्शिता और समयबद्धता नहीं आती, तबतक यात्रियों को यह “रेल परीक्षा” बार-बार देनी पड़ेगी।

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