गिरिडीह/रांची
झारखंड की सियासत में उस वक्त हलचल तेज हो गई जब नेता प्रतिपक्ष और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने दावा किया कि राज्य में चल रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी लगातार आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है। मरांडी का कहना है कि सरकार के कुछ ‘चहेते अफसर’ उन्हें डराने-धमकाने और झूठे मामलों में फंसाने की साजिश रच रहे हैं।
प्रेस वार्ता में उठाए गंभीर सवाल
गिरिडीह परिसदन भवन में आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में बाबूलाल मरांडी ने कहा कि उनके पास पुख्ता जानकारी है कि उन्हें, उनके परिवार या उनके करीबी सहयोगियों पर हमला करवाने की योजना बनाई जा रही है। उन्होंने दावा किया कि राज्य में शराब घोटाला, जेएसएससी-जेपीएससी परीक्षाओं में भ्रष्टाचार, और खनन से जुड़े माफिया जैसे विषयों पर उन्होंने लगातार आवाज उठाई है, जिससे भ्रष्ट अधिकारी घबरा गए हैं और अब साजिशों का सहारा ले रहे हैं।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि जरूरत पड़ी तो वे जांच एजेंसियों के समक्ष उन अधिकारियों के नाम भी उजागर करेंगे, जो इन षड्यंत्रों में शामिल हैं।
“डरने वाला नहीं हूं”
बाबूलाल मरांडी ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर भी अपनी बात रखते हुए लिखा कि इससे पहले भी शिकारीपाड़ा क्षेत्र में उन पर उग्रवादियों से हमला करवाने की साजिश हुई थी, जिसकी खुफिया जानकारी के बाद केंद्र सरकार ने उन्हें सीआरपीएफ सुरक्षा दी थी। उन्होंने राज्य सरकार के अफसरों को चेतावनी दी कि गीदड़भभकी और झूठे आरोपों से वे डरने वाले नहीं हैं।
झामुमो का पलटवार: “राजनीतिक नौटंकी”
बाबूलाल मरांडी के आरोपों पर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी के महासचिव और प्रवक्ता विनोद कुमार पांडेय ने इन आरोपों को हास्यास्पद और सस्ती लोकप्रियता पाने की कोशिश करार दिया। उन्होंने कहा कि बाबूलाल मरांडी जैसे वरिष्ठ नेता को इस तरह के गैर-जिम्मेदाराना बयान देने से पहले अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियों का ख्याल रखना चाहिए।
झामुमो ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार की बढ़ती लोकप्रियता और जनकल्याणकारी योजनाओं से भाजपा हताश है और मरांडी के आरोप उसी हताशा का परिणाम हैं।
सरकार की योजनाओं पर भी उठाया सवाल
पार्टी प्रवक्ता ने यह भी आरोप लगाया कि जब सरकार रिम्स-2 जैसे जनहितकारी प्रोजेक्ट्स पर काम शुरू करती है, तब भाजपा नेता उसका विरोध करते हैं। उन्होंने मरांडी द्वारा एंटी करप्शन ब्यूरो को सीधे प्रश्न भेजे जाने पर भी सवाल उठाया और इसे जांच एजेंसियों पर दबाव बनाने की कोशिश बताया।
निष्कर्ष: सियासी घमासान जारी
बाबूलाल मरांडी और झारखंड सरकार के बीच टकराव का यह दौर नया नहीं है, लेकिन इस बार लगाए गए आरोपों ने राजनीतिक तापमान और बढ़ा दिया है। जहां एक ओर मरांडी खुद को भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम का चेहरा बना रहे हैं, वहीं सत्ताधारी दल इसे एक राजनीतिक प्रपंच बताकर नकार रहा है। अब देखना यह है कि क्या मरांडी इन आरोपों के समर्थन में कोई ठोस सबूत पेश करते हैं या यह सिर्फ चुनावी मौसम की गरमी है, जो समय के साथ ठंडी पड़ जाएगी।