नई दिल्ली, 14 जनवरी 2025
मकर संक्रांति, भारत का एक प्रमुख त्योहार है, जो हर साल 14 जनवरी को मनाया जाता है। यह पर्व न केवल ऋतु परिवर्तन का प्रतीक है, बल्कि समाज में खुशहाली, एकजुटता और समृद्धि का संदेश भी देता है। इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है, जिसे ज्योतिषीय दृष्टि से अत्यंत शुभ माना जाता है।

सांस्कृतिक विविधता और एकता का पर्व

भारत की विविध संस्कृति में मकर संक्रांति को अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। उत्तर भारत में यह त्योहार खिचड़ी के नाम से जाना जाता है, जबकि महाराष्ट्र में इसे तिल-गुड़ बांटने की परंपरा के साथ मनाया जाता है। तमिलनाडु में इसे पोंगल के रूप में चार दिनों तक बड़े उत्साह से मनाया जाता है, तो असम में बिहू की धूम रहती है। गुजरात और राजस्थान में यह पतंगबाजी का त्योहार है, जहां आसमान रंग-बिरंगी पतंगों से भर जाता है।

खुशियों का संदेश

मकर संक्रांति का मूल संदेश है – ‘साझा खुशी और मेलजोल।’ इस दिन लोग तिल और गुड़ से बनी मिठाइयां बांटते हैं, जो मीठे संबंधों का प्रतीक हैं। यह त्योहार न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि समाज में आपसी प्रेम और सौहार्द बढ़ाने का अवसर भी प्रदान करता है।

विज्ञान और प्रकृति से जुड़ाव

मकर संक्रांति सर्दी के अंत और वसंत के आगमन का संकेत है। यह फसल कटाई का समय है, जिसे किसान बड़े हर्षोल्लास से मनाते हैं। गंगा, यमुना और अन्य पवित्र नदियों में स्नान कर लोग नई ऊर्जा और आत्मशुद्धि की भावना प्राप्त करते हैं।

उत्सव और आधुनिकता का संगम

आज के दौर में, मकर संक्रांति का उत्सव केवल ग्रामीण क्षेत्रों तक सीमित नहीं है। शहरी इलाकों में भी यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। पतंगबाजी प्रतियोगिताएं, सांस्कृतिक कार्यक्रम और सामूहिक भोज इस त्योहार की आधुनिक झलक पेश करते हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से लोग शुभकामनाएं साझा कर इस पर्व को और खास बना रहे हैं।

राष्ट्रीय संदेश

मकर संक्रांति केवल एक पर्व नहीं है, यह भारतीय संस्कृति की गहराई, विविधता और उसकी एकता को दर्शाने वाला त्योहार है। यह दिन हमें सिखाता है कि कैसे हम अपनी पारंपरिक धरोहर को सहेजते हुए खुशहाली और प्रगति की ओर बढ़ सकते हैं।

इस मकर संक्रांति, आइए मिलकर खुशियां बांटें और भारत की विविधता और समृद्धि का उत्सव मनाएं।

आप सभी को मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं!

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