झारखंड में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत काम कर रहे मजदूरों को तीन महीने से मजदूरी नहीं मिल पाई है। इसकी प्रमुख वजह केंद्र सरकार से अनुदान राशि का नहीं मिलना बताया जा रहा है। मजदूरों ने अपना निर्धारित लक्ष्य से अधिक काम किया है, लेकिन उन्हें समय पर भुगतान नहीं हो पा रहा है, जिससे वे आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं।
केंद्र से फंड जारी न होने की वजह से रुका भुगतान
राज्य सरकार के अधिकारियों के अनुसार, झारखंड सरकार ने केंद्र से फंड जारी करने की मांग की है, लेकिन अभी तक कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला है। इससे न केवल मजदूरों को परेशानी हो रही है, बल्कि ग्राम पंचायतों और प्रखंड स्तर पर विकास कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं।
मजदूरों की बढ़ती परेशानी
मजदूरी न मिलने के कारण राज्य के विभिन्न जिलों में मजदूरों को अपने घर-परिवार का खर्च चलाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। कई मजदूरों ने बकाया भुगतान के लिए प्रदर्शन भी किया है। उनकी मांग है कि उन्हें जल्द से जल्द उनकी मेहनत की कमाई मिले ताकि वे अपने परिवार की आवश्यक जरूरतें पूरी कर सकें।
राज्य सरकार का दावा और आगे की रणनीति
झारखंड सरकार का कहना है कि वह लगातार केंद्र से राशि जारी करने की मांग कर रही है। अधिकारियों का कहना है कि अगर जल्द ही फंड नहीं मिलता है, तो राज्य सरकार वैकल्पिक व्यवस्था करने पर विचार कर सकती है।
इस मुद्दे पर राजनीतिक बहस भी तेज हो गई है। विपक्षी दल केंद्र सरकार को इसके लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, जबकि भाजपा का कहना है कि राज्य सरकार की प्रशासनिक विफलता के कारण मजदूरों को दिक्कतें हो रही हैं।
अब देखना यह होगा कि केंद्र सरकार कब तक फंड जारी करती है और मजदूरों को उनकी मेहनत की कमाई कब तक मिल पाती है।