मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में झारखंड राज्य सजा पुनरीक्षण पर्षद की बैठक सोमवार को उनके कांके रोड स्थित आवासीय कार्यालय में संपन्न हुई। इस बैठक में विभिन्न जेलों में आजीवन कारावास की सजा काट रहे 37 कैदियों को रिहा करने पर सहमति बनी।

बैठक के दौरान सजा पुनरीक्षण पर्षद द्वारा पहले अस्वीकृत किए गए मामलों की भी समीक्षा की गई। इसके अलावा, नए मामलों पर भी विचार किया गया, जिसमें उन कैदियों की सजा माफ करने की संभावना पर चर्चा हुई, जो तय मानकों के अनुरूप रिहाई के योग्य पाए गए।

103 कैदियों के मामलों पर विचार

बैठक में मुख्यमंत्री ने अधिकारियों के साथ 103 कैदियों की रिहाई से जुड़े प्रस्तावों पर गहन विचार-विमर्श किया। उन्होंने एक-एक कैदी की फाइल की गंभीरता से समीक्षा की और अपराध की प्रकृति, न्यायालयों के आदेश, पुलिस अधीक्षकों, जेल अधीक्षकों और प्रोबेशन अधिकारियों की रिपोर्ट पर विस्तृत चर्चा की। सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद, मुख्यमंत्री ने 37 कैदियों की रिहाई को मंजूरी दी।

इस बैठक में मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव अविनाश कुमार, गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग की प्रधान सचिव वंदना दादेल, डीजीपी अनुराग गुप्ता, कारा महानिरीक्षक सुदर्शन प्रसाद मंडल सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।

रिहा कैदियों के पुनर्वास पर जोर

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि रिहा होने वाले कैदियों की सामाजिक, आर्थिक और पारिवारिक स्थिति की जांच अवश्य की जाए। साथ ही, इन कैदियों की गतिविधियों पर नजर रखने और उनका ट्रैक रिकॉर्ड बनाए रखने के लिए जेल प्रशासन और जिला पुलिस को विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं।

सरकार इन रिहा हुए कैदियों को मुख्यधारा से जोड़ने और उनके पुनर्वास के लिए भी प्रयास करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी रिहा कैदियों को राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ा जाए ताकि वे एक सम्मानजनक जीवन जी सकें। इसके अलावा, उनके लिए आय सृजन की भी व्यवस्था की जाए ताकि वे अपराध के रास्ते पर दोबारा न लौटें।

सरकार का यह निर्णय सामाजिक पुनर्वास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, जिससे न केवल रिहा हुए कैदियों को समाज में फिर से स्थापित होने का अवसर मिलेगा, बल्कि इससे समाज में अपराध दर को कम करने में भी मदद मिलेगी।

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