रांची,

झारखंड की सत्तारूढ़ पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) का 13वां दो दिवसीय महाधिवेशन आज यानी सोमवार से रांची के खेलगांव स्थित हरिवंश टाना भगत इंडोर स्टेडियम, बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर प्रांगण में शुरू हो रहा है। महाधिवेशन के मंच से पार्टी न केवल लंबित विधेयकों पर नए सिरे से प्रस्ताव लाने की तैयारी में है, बल्कि संगठन के भीतर भी महत्वपूर्ण बदलाव और सशक्तिकरण की दिशा में अहम फैसले लिए जाने की उम्मीद है।

आठ राज्यों से चार हजार प्रतिनिधियों का जुटान

इस महाधिवेशन में झारखंड सहित आठ राज्यों—बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़, असम, महाराष्ट्र और तमिलनाडु से करीब चार हजार प्रतिनिधियों के भाग लेने की संभावना जताई जा रही है।

महाधिवेशन की तैयारियां मुख्यमंत्री और झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन के निर्देशन में पूरी कर ली गई हैं।

राजनीतिक प्रस्तावों में क्या रहेगा मुख्य

महाधिवेशन में जो प्रमुख राजनीतिक प्रस्ताव पारित किए जाने हैं, उनमें शामिल हैं:

  • 1932 खतियान आधारित स्थानीयता विधेयक को दोबारा विधानसभा में पेश करने की मांग।
  • 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण लागू करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार पर दबाव बनाना।
  • भीड़ हिंसा एवं भीड़ लिंचिंग निवारण विधेयक 2021 को पुनः पेश करने की योजना।
  • सरना धर्म कोड को जनगणना में शामिल कराने के लिए केंद्र पर नया दबाव बनाना।
  • वक्फ संशोधन कानून को राज्य में लागू न करने का प्रस्ताव।

कल्पना सोरेन को मिल सकती है बड़ी जिम्मेदारी

महाधिवेशन के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी और गांडेय विधायक कल्पना सोरेन को पार्टी संगठन में कोई बड़ी जिम्मेदारी दिए जाने पर भी चर्चा की जाएगी। माना जा रहा है कि आने वाले चुनावों के मद्देनज़र महिला नेतृत्व को आगे बढ़ाने की रणनीति के तहत यह फैसला लिया जा सकता है।

शिबू सोरेन की उपस्थिति और संगठन सशक्तिकरण का संकल्प

महाधिवेशन की अध्यक्षता झामुमो के संस्थापक और राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन करेंगे। पार्टी महासचिव विनोद कुमार पांडेय ने बताया कि सभी 24 जिलों से प्रतिनिधि, पदाधिकारी, पंचायत एवं प्रखंड समिति सदस्य उपस्थित रहेंगे।

इस मौके पर:

  • जल, जंगल और जमीन की रक्षा के प्रति पार्टी की प्रतिबद्धता दोहराई जाएगी।
  • संगठन के पुनर्गठन और विस्तार की दिशा में नई रणनीति बनाई जाएगी।
  • अंबेडकर जयंती पर बाबा साहेब को श्रद्धांजलि दी जाएगी।

महाधिवेशन का राजनीतिक महत्व

झामुमो का यह महाधिवेशन लोकसभा चुनाव 2024 और आगामी झारखंड विधानसभा चुनाव की रणनीति तय करने के लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है।

विशेष रूप से 1932 खतियान, ओबीसी आरक्षण और सरना धर्म कोड जैसे मुद्दे जनभावनाओं से जुड़े हैं, जिन्हें पार्टी एक बार फिर केंद्र बिंदु बनाने की तैयारी में है।

प्रमुख बिंदु (Key Highlights):

  • रांची में झामुमो का 13वां महाधिवेशन आज से शुरू
  • 8 राज्यों से 4,000 प्रतिनिधियों की मौजूदगी संभावित
  • 1932 खतियान, सरना कोड, ओबीसी आरक्षण पर नए प्रस्ताव
  • कल्पना सोरेन को संगठन में मिल सकती है बड़ी भूमिका
  • संगठन सशक्तिकरण और चुनावी रणनीति पर होगा मंथन
Share.
Leave A Reply

Exit mobile version