प्रयागराज। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 फरवरी को प्रयागराज के संगम में डुबकी लगाएंगे। यह दौरा महाकुंभ के पवित्र स्नान का हिस्सा है, लेकिन संयोग यह है कि इसी दिन दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग भी होनी है। ऐसे में मोदी के प्रयागराज दौरे को राजनीतिक दृष्टिकोण से भी देखा जा रहा है। भाजपा का कहना है कि यह दौरा पहले से तय था और इसका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषक इसे हिंदुत्व और चुनावी गणित से जोड़कर देख रहे हैं।
महाकुंभ में मोदी की आस्था
महाकुंभ में आस्था की डुबकी लगाने के लिए लाखों श्रद्धालु प्रयागराज पहुंच रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मानवता के इस सबसे बड़े आयोजन में शामिल होंगे। इससे पहले, 13 दिसंबर को उन्होंने प्रयागराज आकर 5,000 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया था और महाकुंभ की तैयारियों का जायजा लिया था।
मोदी न केवल महाकुंभ के आयोजनों में सक्रिय रहे हैं, बल्कि सोशल मीडिया के जरिए श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं भी देते रहे हैं। उन्होंने मकर संक्रांति और पौष पूर्णिमा जैसे स्नान पर्वों पर अपनी प्रतिक्रिया दी और आयोजन की तस्वीरें साझा कीं। यह उनकी महाकुंभ में गहरी आस्था और जुड़ाव को दिखाता है।
स्नान और मतदान का संयोग
प्रधानमंत्री मोदी का संगम में स्नान ऐसे दिन प्रस्तावित है जब दिल्ली में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होगा। यह महज एक संयोग है या सियासी रणनीति, इसे लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। दिल्ली में भाजपा लंबे समय से सत्ता से बाहर है। 1998 के बाद से कांग्रेस और फिर आम आदमी पार्टी ने वहां शासन किया है। भाजपा ने 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में दिल्ली में अच्छा प्रदर्शन किया था, लेकिन विधानसभा चुनावों में पार्टी निर्णायक जीत हासिल नहीं कर सकी।
महाकुंभ में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं में बड़ी संख्या उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों की होती है। दिल्ली में पूर्वांचल के वोटरों का करीब 20% हिस्सा है, जो 30 से अधिक सीटों पर निर्णायक प्रभाव रखते हैं। मोदी का यह दौरा हिंदुत्व और विकास के संदेश को मजबूत करने के साथ-साथ पूर्वांचली वोटरों को साधने की एक रणनीति के रूप में भी देखा जा रहा है।
दिल्ली में भाजपा की चुनावी रणनीति
दिल्ली विधानसभा चुनावों में भाजपा के लिए मुकाबला त्रिकोणीय है। आम आदमी पार्टी की मजबूत पकड़ के बीच कांग्रेस भी अपनी जमीन वापस पाने की कोशिश कर रही है। भाजपा ने विकास और हिंदुत्व की जुगलबंदी के जरिए अपना रास्ता तैयार किया है। महाकुंभ में मोदी की आस्था और संगम में उनकी उपस्थिति भाजपा की इस रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है।
राजनीति और आस्था का मेल
मोदी का संगम में स्नान और दिल्ली में मतदान भले ही संयोग हो, लेकिन इसका राजनीतिक संदेश स्पष्ट है। महाकुंभ जैसी धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा में प्रधानमंत्री की भागीदारी उनकी हिंदुत्व छवि को और मजबूत करती है। साथ ही, यह भाजपा के चुनावी प्रचार को एक नई दिशा देने का प्रयास भी हो सकता है।
क्या कहती है भाजपा?
भाजपा के अनुसार, प्रधानमंत्री का प्रयागराज दौरा पूरी तरह से आस्था और विकास केंद्रित है। पार्टी का कहना है कि यह दौरा पहले से तय था और इसका दिल्ली चुनाव से कोई लेना-देना नहीं है। हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मोदी की हर यात्रा में गहरे रणनीतिक अर्थ छिपे होते हैं।
निष्कर्ष
महाकुंभ में प्रधानमंत्री मोदी की डुबकी को आस्था और राजनीति दोनों के नजरिए से देखा जा रहा है। यह दौरा एक तरफ उनकी धार्मिक आस्था को दर्शाता है, तो दूसरी तरफ इसे दिल्ली विधानसभा चुनाव के समीकरणों से जोड़कर भी देखा जा रहा है। ऐसे में मोदी की यह यात्रा न केवल प्रयागराज के संगम में पवित्र स्नान का प्रतीक बनेगी, बल्कि सियासी हलकों में भी इसका गहरा असर देखने को मिलेगा।