झारखंड में मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर आरोपों का सामना कर रहीं आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल की बहाली के बाद सियासी बवाल मच गया है। पूजा सिंघल को हाल ही में जमानत पर रिहाई मिली थी, और अब उनका निलंबन रद्द कर दिया गया है। इस फैसले को लेकर बीजेपी ने हेमंत सोरेन सरकार और कांग्रेस को कटघरे में खड़ा करते हुए सवाल उठाए हैं।

बीजेपी का हमला

भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने पूजा सिंघल की बहाली को लेकर झारखंड सरकार पर जोरदार हमला किया। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों में गिरफ्तार हुईं पूजा सिंघल के सीए के पास से 16 करोड़ रुपये बरामद हुए थे। ईडी ने उनके पास से 36 करोड़ रुपये नकद भी जब्त किए थे। प्रसाद ने कहा, “28 महीनों तक जेल में रहने के बाद, उन्हें जमानत मिलते ही बहाल कर देना भ्रष्टाचार को संरक्षण देने जैसा है। क्या ऐसे अधिकारी को बहाल करना उचित है, जिसके खिलाफ गंभीर आरोप और सबूत हैं?”

राहुल गांधी पर निशाना

रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर तीखा तंज कसते हुए कहा, “राहुल गांधी संविधान को लेकर बड़ी-बड़ी बातें करते हैं। मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि झारखंड में जो कुछ हो रहा है, उस पर उनकी चुप्पी क्यों है? कांग्रेस झारखंड सरकार का हिस्सा है, तो क्या यह उनका समर्थन है?”

कांग्रेस का जवाब

भाजपा के आरोपों पर झारखंड कांग्रेस ने सफाई देते हुए कहा कि पूजा सिंघल की बहाली का फैसला मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली निलंबन समीक्षा समिति ने सभी तथ्यों पर विचार करने के बाद लिया है। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा, “यह फैसला सरकार की प्रक्रिया के तहत लिया गया है। इसे राजनीतिक रंग देना गलत है। हर पहलू पर विचार के बाद बहाली का निर्णय लिया गया है।”

पूजा सिंघल का मामला

गौरतलब है कि पूजा सिंघल को मई 2022 में ईडी ने मनरेगा घोटाले और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामलों में गिरफ्तार किया था। इस दौरान ईडी ने उनके सीए के ठिकानों पर छापा मारकर करोड़ों की संपत्ति बरामद की थी। उनके खिलाफ पीएमएलए अदालत में मामला दर्ज है। दिसंबर 2024 में उन्हें जमानत मिली, और 7 दिसंबर से उनका निलंबन रद्द कर दिया गया।

विपक्ष की चिंता

बीजेपी ने इस मामले को लेकर हेमंत सोरेन सरकार पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। पार्टी का कहना है कि झारखंड में भ्रष्ट अधिकारियों को संरक्षण दिया जा रहा है। वहीं, कांग्रेस का कहना है कि यह निर्णय नियमों के तहत लिया गया है, और इसमें किसी तरह की पक्षपातपूर्ण राजनीति नहीं की जानी चाहिए।

निष्कर्ष

पूजा सिंघल की बहाली का मुद्दा झारखंड की राजनीति में एक बार फिर से भ्रष्टाचार और जवाबदेही के सवालों को लेकर चर्चा में है। अब देखना यह होगा कि सरकार इस फैसले पर क्या सफाई देती है और विपक्ष इसे कैसे भुनाता है।

Share.

Comments are closed.

Exit mobile version