मुख्य बातें
- झारखंड, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में ईडी की एक साथ छापेमारी
- फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) के जरिए ₹750 करोड़ का जीएसटी घोटाला
- रांची और जमशेदपुर में कई कारोबारियों के ठिकानों पर कार्रवाई
- हवाला और शेल कंपनियों के नेटवर्क का खुलासा
- पीएमएलए के तहत कार्रवाई, पहले भी हुई गिरफ्तारी
क्या है पूरा मामला?
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने फर्जी जीएसटी बिलिंग और हवाला लेन-देन के एक बड़े रैकेट का भंडाफोड़ करते हुए गुरुवार को रांची समेत झारखंड की 8 जगहों पर छापेमारी की है। कार्रवाई राज्य की राजधानी रांची के साथ-साथ जमशेदपुर, कोलकाता और मुंबई में भी की जा रही है।
रांची के पीपी कंपाउंड स्थित कृष्ण अपार्टमेंट के चौथे मंजिल पर ईडी की टीम ने एक व्यापारी के ठिकाने पर छापा मारा, जिसकी पहचान “कृष” नाम के कारोबारी के रूप में हुई है। इसके अलावा, राज्य भर में 5-6 अन्य स्थानों पर भी तलाशी ली गई है।
750 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का खुलासा
सूत्रों के अनुसार, यह छापेमारी ₹750 करोड़ के फर्जी जीएसटी चालान तैयार कर इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) क्लेम करने के मामले में की जा रही है। जांच एजेंसी को आशंका है कि इस घोटाले के पीछे दर्जनों फर्जी कंपनियां (Shell Companies) और हवाला चैनल्स काम कर रहे थे, जिनके जरिए काले धन को वैध किया जा रहा था।
ईडी को पहले ही इस केस में कई अहम सुराग मिल चुके हैं। मई 2025 में इसी केस में कथित मास्टरमाइंड शिव कुमार देवरा को गिरफ्तार किया गया था। हाल ही में उनके खिलाफ आरोप-पत्र भी दाखिल किया गया है।
किन धाराओं में हो रही जांच?
यह पूरा मामला PMLA (Prevention of Money Laundering Act) के अंतर्गत दर्ज किया गया है। अब तक की कार्रवाई में ईडी को कई डिजिटल और डॉक्यूमेंट्री सबूत मिले हैं, जो बड़ी संख्या में व्यापारियों, फर्मों और नेटवर्क ऑपरेटर्स की संलिप्तता को दर्शाते हैं।
निष्कर्ष:
ईडी की यह ताजा कार्रवाई झारखंड में काले धन और टैक्स फ्रॉड के खिलाफ सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति को दर्शाती है। आने वाले दिनों में और भी गिरफ्तारियां और खुलासे हो सकते हैं। ईडी की इस रेड ने एक बार फिर दिखा दिया है कि टैक्स चोरी और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में अब कोई ढील नहीं दी जाएगी।