धनबाद, झारखंड:
धनबाद जिले में करोड़ों रुपये की सरकारी जमीन को फर्जीवाड़े के जरिए बेचने का मामला सामने आया है। गोविंदपुर अंचल के भेलाटांड़ मौजा में करीब चार एकड़ सरकारी जमीन को फर्जी कागज़ तैयार कर निजी जमीन दिखाया गया और फिर उसे 38 लोगों को बेच दिया गया। इस जमीन की दाखिल-खारिज (म्यूटेशन) भी कर दी गई, जिससे घोटाला और गंभीर हो गया।
कैसे हुआ घोटाला?
जांच में सामने आया कि असल में यह जमीन खाता संख्या 271, प्लॉट संख्या 220 में दर्ज थी, जिसे फर्जी तरीके से खाता संख्या 273, प्लॉट संख्या 220 बनाकर दिखाया गया। इसके बाद इस पर प्लॉटिंग की गई और अलग-अलग रजिस्ट्री कर दी गई। अनुमान है कि इस जमीन की कुल कीमत 10 करोड़ रुपये से अधिक है।
प्रशासन की सख्ती
धनबाद उपायुक्त (DC) के निर्देश पर अपर समाहर्ता विनोद कुमार ने गोविंदपुर के अंचल अधिकारी (CO) को आदेश दिया है कि इस मामले में 24 घंटे के भीतर एफआईआर दर्ज की जाए।
इसमें फर्जी कागज़ तैयार कराने वाले अमरचंद्र गोराई और पावर ऑफ अटॉर्नी होल्डर राजीव रंजन उर्फ़ रवि यादव के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया गया है। इसके अलावा, जमीन की रजिस्ट्री और म्यूटेशन कराने में शामिल सरकारी कर्मियों की पहचान कर रिपोर्ट एक हफ्ते के अंदर देने को कहा गया है।
शराब घोटाले में फंसे निलंबित आईएएस को मिली जमानत, लेकिन अब भी जेल से बाहर नहीं
झारखंड में चर्चित शराब घोटाले में गिरफ्तार निलंबित आईएएस अधिकारी को एसीबी की विशेष अदालत से बड़ी राहत मिली है। अदालत ने उन्हें डिफॉल्ट बेल प्रदान की है क्योंकि एसीबी 90 दिनों के भीतर चार्जशीट दाखिल करने में नाकाम रही।
क्या कहा अदालत ने?
विशेष न्यायाधीश योगेश कुमार सिंह की अदालत ने जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद आदेश दिया कि अधिकारी को 25-25 हजार रुपये के दो निजी मुचलके भरने पर जमानत दी जाए।
हालांकि, अधिकारी को फिलहाल जेल से बाहर नहीं किया जाएगा क्योंकि वे अब भी धनबाद जमीन घोटाले के मामले में आरोपी हैं और उस केस में न्यायिक हिरासत जारी रहेगी।
आगे की स्थिति
कानूनी जानकारों का मानना है कि अगर आने वाले दिनों में एसीबी बाकी आरोपियों पर समय पर चार्जशीट दाखिल नहीं कर पाई तो उन्हें भी बेल मिल सकती है।