रांची, झारखंड। राज्य के बहुचर्चित शराब घोटाले मामले में निलंबित IAS अधिकारी को रांची की एक विशेष अदालत से डिफ़ॉल्ट जमानत मिल गई है। अदालत ने यह राहत भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) की ओर से तय समय सीमा में आरोप पत्र दायर न कर पाने के कारण दी।
अदालत का आदेश
अदालत ने कहा कि बीएनएनएस की धारा 187(2) के तहत यदि 90 दिनों से अधिक समय गुजर जाने के बावजूद आरोप पत्र दाखिल नहीं होता है, तो आरोपी को डिफ़ॉल्ट जमानत का अधिकार मिल जाता है। अदालत ने जमानत देते समय दो निजी मुचलकों के रूप में ₹25,000 जमा करने का आदेश दिया। साथ ही, आरोपी को राज्य से बाहर न जाने और मोबाइल नंबर न बदलने की शर्त भी लगाई गई।
रिहाई में विलंब का कारण
हालांकि, संबंधित IAS अधिकारी को फिलहाल जेल से तुरंत रिहाई नहीं मिलेगी। कारण यह है कि उनके खिलाफ हजारीबाग में जमीन से जुड़ा एक और मामला दर्ज है। वहीं, अधिकारी फिलहाल रांची के RIMS अस्पताल में इलाजरत हैं।
ACB की बड़ी गलती
इस मामले में सबसे बड़ी चूक ACB की मानी जा रही है। आरोपी की गिरफ्तारी के बाद भी एजेंसी आरोप पत्र दायर करने में विफल रही। अदालत में बताया गया कि गिरफ्तारी के 92 दिन गुजर चुके थे और अब तक चार्जशीट दाखिल नहीं हो सकी थी। सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों में यह साफ कहा गया है कि ऐसी स्थिति में आरोपी डिफ़ॉल्ट जमानत का हकदार हो जाता है।
पृष्ठभूमि
यह पूरा मामला 38 करोड़ रुपये से जुड़े कथित शराब घोटाले से संबंधित है। आरोपी अधिकारी को इसी मामले में 20 मई को गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तारी के बाद राज्य सरकार ने उन्हें निलंबित कर दिया था।