भारत में विशेष रूप से उत्तर भारत और बिहार, उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में मनाई जाने वाली छठ पूजा का पर्व आजकल जोश और श्रद्धा से भरा हुआ है। इस पूजा का दूसरा दिन खासतौर पर खरना के रूप में मनाया जाता है, जो इस महापर्व का एक अहम हिस्सा है। छठ पूजा के इस दिन, श्रद्धालु अपने घरों में विशेष पूजा विधि के साथ दिनभर उपवासी रहते हैं और सूर्य देवता और छठी मैया की आराधना करते हैं।

खरना के दिन भक्त, दिनभर उपवासी रहने के बाद, सूर्यास्त के समय अपने परिवार के साथ एक विशेष पूजा का आयोजन करते हैं। इस पूजा में छठी मैया को खास भोग अर्पित किया जाता है, जिसमें रोटी, गुड़ की खीर, और विभिन्न फल शामिल होते हैं। यह भोग श्रद्धा और समर्पण के साथ अर्पित किया जाता है, जिसे बाद में प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। इस दिन का महत्व इसलिए भी अधिक है क्योंकि यह उन भक्तों के संकल्प की शुरुआत होती है जो अगले दिन उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करेंगे।

खरना के अवसर पर श्रद्धालु अपनी पारंपरिक पूजा विधियों के तहत घर के आंगन में आग जलाकर उसमें रोटियां सेंकते हैं और उसे छठी मैया को अर्पित करते हैं। इसके बाद भक्त अपनी परंपराओं के अनुसार प्रसाद ग्रहण करते हैं और एक-दूसरे को इस खास अवसर पर बधाई संदेश भेजते हैं।

बधाई संदेशों का आदान-प्रदान

छठ पूजा के इस विशेष अवसर पर भक्त एक-दूसरे को शुभकामनाएं भेजने के लिए सोशल मीडिया और संदेशों का सहारा लेते हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर ‘छठ पूजा’ के बधाई संदेशों की बाढ़ आ जाती है, जिसमें लोग अपनों को खुशहाली, सुख-शांति और समृद्धि की कामना करते हैं। इस दौरान लोग एक-दूसरे को संदेश भेजते हैं, “छठी मैया की कृपा आपके जीवन में हमेशा बनी रहे, आपके घर में खुशहाली और समृद्धि का वास हो।”
इस दिन, छठ पूजा के महत्व को और बढ़ाते हुए विशेष पूजा विधियां और संदेशों का आदान-प्रदान ही इस पर्व की ख़ासियत बनाती है। ऐसे बधाई संदेशों से ना सिर्फ पारिवारिक रिश्तों में मिठास आती है, बल्कि यह पर्व सामाजिक सद्भाव और एकता को भी बढ़ावा देता है।

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