छठ गीतों की मर्मस्पर्शी आवाज़ से बिहार की सांस्कृतिक पहचान को नई ऊँचाई देने वाली लोकगायिका शारदा सिन्हा अब हमारे बीच नहीं रहीं। मंगलवार को दिल्ली के एम्स अस्पताल में उनका निधन हुआ, जिससे बिहार सहित पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है। लोकगायन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के कारण उन्हें पद्मश्री और पद्म भूषण जैसे प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त हुए थे। उनका अंतिम संस्कार बुधवार को पटना में राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा।

बिहार सरकार ने शारदा सिन्हा को उनकी महान लोकगायकी और समाज में उनके योगदान के सम्मान में राजकीय सम्मान देने की घोषणा की है। सांसद और अभिनेता मनोज तिवारी ने इस बात की पुष्टि की कि शारदा सिन्हा का पार्थिव शरीर बुधवार को पटना में रखा जाएगा, जहाँ परिवार, प्रशंसक और इंडस्ट्री के लोग उन्हें अंतिम विदाई देंगे। सुबह 12 बजे के बाद पटना में उनके अंतिम दर्शन का आयोजन किया गया है और 7 नवंबर की सुबह उनका अंतिम संस्कार संपन्न किया जाएगा।

शारदा सिन्हा की अमूल्य धरोहर

शारदा सिन्हा के गीत विशेषकर छठ पूजा के अवसर पर बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में गूंजते हैं और इस महापर्व को एक खास रंग और भावना देते हैं। उनके गाए छठ गीत, जैसे “केलवा के पात पर” और “हो दीनानाथ”, हर वर्ष छठ महापर्व के दौरान लाखों लोगों के दिलों में विशेष स्थान बनाते हैं। उनके जाने से लोक संगीत जगत में एक अपूरणीय क्षति हुई है, जिसे शायद ही कभी भरा जा सकेगा।

कला, समाज और संस्कृति में योगदान के लिए राजकीय सम्मान

बिहार सरकार द्वारा राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार करने का निर्णय शारदा सिन्हा की कला और समाज के प्रति उनके योगदान को मान्यता देता है। राजकीय सम्मान में उन्हें अंतिम विदाई देने का प्रबंध बिहार की लोक-संस्कृति के प्रति उनके योगदान की याद में एक ऐतिहासिक पल होगा।

समाज और प्रशंसकों में शोक

उनके निधन के बाद से ही सोशल मीडिया पर हजारों प्रशंसकों ने श्रद्धांजलि देते हुए उनके योगदान को याद किया और उनके गीतों के माध्यम से उनके प्रति सम्मान प्रकट किया। उनके गीतों की गूँज और संगीत से जुड़ी उनकी अनमोल धरोहर आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी।

ईश्वर से यही प्रार्थना है कि वह शारदा सिन्हा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें और उनके परिवार को इस दुखद घड़ी में संबल प्रदान करें।

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