नई दिल्ली/रांची (विशेष संवाददाता):

धार्मिक आयोजनों के दौरान बिजली कटौती पर झारखंड हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई खत्म कर दी है। कोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से प्रस्तुत की गई दलीलों और अनुपालन के आश्वासन को स्वीकार करते हुए केस को निस्तारित कर दिया।

गौरतलब है कि झारखंड हाईकोर्ट ने 3 अप्रैल को रामनवमी और अन्य धार्मिक त्योहारों के दौरान बिजली कटौती को लेकर स्वतः संज्ञान लेते हुए झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (JBVNL) को निर्देश दिया था कि वह ऐसे आयोजनों के समय बिजली आपूर्ति में व्यवधान न डाले। यह आदेश सरहुल उत्सव के दौरान हुई बिजली कटौती की शिकायतों को आधार बनाकर दिया गया था।

सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार की याचिका

राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील दी कि सुरक्षा कारणों से रामनवमी जैसे आयोजनों के दौरान जुलूस मार्ग पर सीमित समय के लिए बिजली कटौती की जाती है, ताकि बिजली की तारों से करंट लगने या भगदड़ जैसी घटनाओं से बचा जा सके।

उन्होंने बताया कि इस साल रामनवमी (6 अप्रैल) के मौके पर सरकार ने कोर्ट के निर्देशों के अनुसार न्यूनतम अवधि और केवल जुलूस मार्गों पर ही बिजली की आपूर्ति रोकी। साथ ही, अस्पतालों जैसी आवश्यक सेवाओं में किसी प्रकार का व्यवधान नहीं होने दिया गया।

सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया और निष्कर्ष

सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसमें मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार शामिल थे, ने सरकार की ओर से प्रस्तुत किए गए तर्कों और अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने के आश्वासन पर संतोष जताया। कोर्ट ने यह भी माना कि वर्ष 2000 में एक धार्मिक जुलूस के दौरान करंट लगने से 28 लोगों की जान चली गई थी, जिससे यह सावधानी बरतना समय की मांग है।

पीठ ने स्पष्ट किया कि धार्मिक आयोजनों के दौरान यदि सुरक्षा कारणों से बिजली कटौती जरूरी हो, तो वह केवल निर्धारित मार्ग और समयावधि तक सीमित रहनी चाहिए, ताकि जनता को अनावश्यक असुविधा न हो। इसके साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार की याचिका पर कार्यवाही बंद कर दी

मुख्य बिंदु:

• हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर धार्मिक अवसरों पर बिजली कटौती पर रोक लगाई थी

• राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इसे चुनौती दी

• सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की दलीलों और अनुपालन के आश्वासन को मानते हुए केस बंद किया

• भविष्य में बिजली कटौती सिर्फ सुरक्षा कारणों से और सीमित समय व मार्ग तक ही की जा सकेगी

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