साहिबगंज, झारखंड: बीते सोमवार शाम लगभग 6:00 बजे साहिबगंज रेलवे स्टेशन के पास काली प्रतिमा के विसर्जन के दौरान एक अप्रत्याशित घटना ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया। माँ काली की प्रतिमा को विसर्जन के लिए ले जाते समय रेलवे द्वारा लगाए गए एक खंभे की ऊँचाई की वजह से जुलूस में रुकावट आ गई। प्रतिमा और खंभे की ऊँचाई लगभग बराबर होने के कारण, प्रतिमा को ले जाने वाले वाहन के लिए आगे बढ़ना मुश्किल हो गया था। कई प्रयासों के बावजूद भी खंभे को हटाने में सफलता नहीं मिल पाई।

प्रशासन का अस्थायी समाधान

स्थिति को देखते हुए, प्रशासन ने JCB की मदद से सड़क की सतह को थोड़ा गहरा किया ताकि वाहन और प्रतिमा का ऊपरी हिस्सा कुछ नीचे आ सके और आगे बढ़ सके। इसके लिए सड़क को खुदाई कर खंभे के निचले हिस्से से थोड़ा हटाया गया। हालांकि इस समाधान ने प्रतिमा के विसर्जन में मदद की, लेकिन यह सवाल खड़े करता है कि प्रशासन ने इस प्रकार की बाधाओं को पहले से क्यों नहीं समझा और उनका समाधान क्यों नहीं निकाला।

प्रशासन की लापरवाही या अनदेखी?

इस पूरे प्रकरण ने प्रशासन की तैयारी और व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। विसर्जन के रूट का निरीक्षण और सही योजना न होने के कारण इस प्रकार की असुविधा का सामना करना पड़ा। साहिबगंज में जहाँ सड़क निर्माण में सालों लग जाते हैं, वहाँ इस तरह से बनी सड़क को तोड़ना क्या उचित था? क्या प्रशासन द्वारा रूट को समय रहते बदलकर समस्या का समाधान नहीं किया जा सकता था?

निष्कर्ष

इस घटना ने प्रशासनिक कमियों को उजागर किया है, जिससे भविष्य में ऐसे आयोजनों के लिए बेहतर योजना और मार्गदर्शन की आवश्यकता है। उम्मीद है कि प्रशासन इस तरह की समस्याओं को दोबारा न होने देने के लिए उचित कदम उठाएगा और विसर्जन तथा अन्य जुलूसों के दौरान व्यवस्था की ओर अधिक ध्यान देगा।

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