झारखंड में विधानसभा चुनावों की आहट के बीच भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को एक और बड़ा झटका लगा है। प्रदेश उपाध्यक्ष जवाहर पासवान ने पार्टी से इस्तीफा देकर झामुमो (झारखंड मुक्ति मोर्चा) का दामन थाम लिया है।
जवाहर पासवान ने अपने इस्तीफे के बाद बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व पर गंभीर आरोप लगाए, जिसमें उन्होंने पार्टी में अंदरूनी मतभेद और कार्यकर्ताओं के प्रति उपेक्षा की बात की। उनके अनुसार, पार्टी में सत्ता और स्वार्थ के लिए कार्यकर्ताओं की आवाज को अनसुना किया जा रहा है, जो लोकतंत्र की मूल भावना के खिलाफ है।
पासवान के इस कदम को बीजेपी के लिए एक बड़ा नुकसान माना जा रहा है, खासकर जब चुनावों में महज कुछ महीने बाकी हैं। उनकी पहचान और स्थानीय प्रभाव को देखते हुए, झामुमो में शामिल होना न केवल उनके लिए एक नई शुरुआत है, बल्कि बीजेपी के लिए एक चुनौती भी है।
झामुमो के नेता भी पासवान का स्वागत करते हुए उनके अनुभव और नेतृत्व क्षमताओं की सराहना कर रहे हैं। पार्टी में उनकी शामिल होने से झामुमो को एक नई ताकत मिल सकती है, जो आगामी चुनावों में बीजेपी को टक्कर देने में सहायक हो सकती है।
जवाहर पासवान का यह निर्णय और उनके द्वारा उठाए गए सवाल चुनावी राजनीति में एक नया मोड़ ला सकते हैं, जिससे झारखंड की राजनीतिक दिशा पर असर पड़ सकता है। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, इस घटनाक्रम पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।