झारखंड की राजनीति में एक नया मोड़ तब आया जब झारखंड विधानसभा के सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति के सभापति सरयू राय ने The Mediawala Express के संस्थापक और प्रमुख संपादक प्रियांशु झा को एक कानूनी नोटिस भेजा। इस पत्र में सरयू राय ने प्रियांशु झा से उनके यूट्यूब चैनल पर प्रसारित साक्षात्कार की बिना संपादित मूल फुटेज और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 63 के तहत प्रमाणपत्र मांगा है। इस नोटिस के बाद पत्रकारिता जगत में सवाल उठने लगे हैं कि क्या यह कदम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और पत्रकारिता के स्वतंत्र अधिकारों का उल्लंघन नहीं है?

 क्या है पूरा मामला?

The Mediawala Express चैनल पर प्रियांशु झा द्वारा एक साक्षात्कार का प्रसारण किया गया था, जिसमें मनोज सिंह नामक व्यक्ति ने सरयू राय पर कई गंभीर आरोप लगाए। इन साक्षात्कारों की दो कड़ियां 10 और 11 सितंबर 2024 को यूट्यूब पर अपलोड की गईं,  इस साक्षात्कार में मनोज सिंह ने सरयू राय के खिलाफ कई आरोप लगाए, जिसे सरयू राय ने पूरी तरह झूठा और दुर्भावनापूर्ण करार दिया है।

 सरयू राय की मांग।

सरयू राय द्वारा भेजे गए पत्र में प्रियांशु झा से मांग की गई है कि वह इस साक्षात्कार की बिना संपादित वीडियो फुटेज और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 63 के तहत प्रमाणपत्र प्रदान करें। उनका कहना है कि इस साक्षात्कार में मनोज सिंह द्वारा लगाए गए आरोपों का उद्देश्य समाज में उनके खिलाफ झूठ और भ्रम फैलाना है। साथ ही, सरयू राय ने चेतावनी दी है कि अगर यह वीडियो 15 दिनों के भीतर प्रदान नहीं किया जाता, तो प्रियांशु झा को भी कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा और उनकी संलिप्तता समझी जाएगी।

 प्रियांशु झा का पक्ष

इस कानूनी नोटिस के बाद प्रियांशु झा ने इसे पत्रकारिता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला करार दिया है। उनका मानना है कि यह नोटिस उनकी पत्रकारिता को दबाने का प्रयास है, और इससे उनकी स्वतंत्र पत्रकारिता के अधिकारों का हनन किया गया है। प्रियांशु झा ने यह भी कहा कि वह केवल एक पत्रकार के रूप में साक्षात्कार कर रहे थे, और यह उनका संवैधानिक अधिकार है कि वह स्वतंत्र रूप से सूचनाओं को सार्वजनिक कर सकें।

प्रियांशु झा ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से पत्रकारों की सुरक्षा की मांग की है। उन्होंने कहा कि इस तरह के कानूनी दबाव से राज्य में पत्रकारों को अपने काम करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने यह भी आग्रह किया कि सरकार पत्रकारों के अधिकारों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाए ताकि भविष्य में किसी पत्रकार को इस तरह की धमकियों का सामना न करना पड़े।

विस्तार में जनके लिए पूरा वीडियो देखें।

 पत्रकारिता पर सवाल

यह मामला केवल एक कानूनी नोटिस से अधिक है; यह पत्रकारिता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। पत्रकारिता का उद्देश्य समाज को सच्ची और निष्पक्ष जानकारी प्रदान करना है, और अगर पत्रकारों पर इस तरह का दबाव डाला जाता है, तो यह लोकतंत्र की बुनियादी मूल्यों को कमजोर कर सकता है। 

सरयू राय का यह कदम कहीं न कहीं इस बात को भी इंगित करता है कि किस हद तक राजनीतिक नेता अपनी छवि की रक्षा के लिए कानूनी कदम उठाते हैं। पत्रकारिता जगत में यह चिंता है कि इस तरह के नोटिस पत्रकारों को स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से रिपोर्ट करने से रोक सकते हैं, जिससे मीडिया की स्वतंत्रता पर अंकुश लग सकता है।

निष्कर्ष

इस पूरे प्रकरण ने पत्रकारिता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर एक नई बहस छेड़ दी है। प्रियांशु झा के द्वारा मुख्यमंत्री से की गई सुरक्षा की मांग इस बात का संकेत है कि राज्य में पत्रकारों को अपने अधिकारों की सुरक्षा की जरूरत महसूस हो रही है। आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार और पत्रकारिता जगत इस मामले पर क्या रुख अपनाते हैं, और क्या इस कानूनी नोटिस से पत्रकारों के अधिकारों पर कोई प्रभाव पड़ता है या नहीं।

Share.

Comments are closed.

Exit mobile version