लखनऊ, 7 सितंबर: भारत में पत्रकारिता के हालात दिनोंदिन गंभीर होते जा रहे हैं। सच को उजागर करने की कोशिश करने वाले पत्रकारों पर हमले तेज हो रहे हैं, जिससे भारत को पत्रकारों की सुरक्षा के मामले में सबसे खतरनाक देशों में गिना जाने लगा है। हर साल, देश में कई पत्रकार अपनी जान गंवा देते हैं या रिपोर्टिंग के दौरान हिंसा का शिकार होते हैं। पत्रकारों को डराना-धमकाना अब एक आम बात बन गई है, लेकिन अब इन घटनाओं पर रोक लगाने के लिए सरकार ने सख्त कदम उठाने का निर्णय लिया है।
कोर्ट की टिप्पणी और सरकार की सख्ती:
हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर महत्वपूर्ण टिप्पणी की, जिसके बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सख्त कदमों की घोषणा की है। अब अगर किसी ने पत्रकारों से अभद्रता की या उन्हें धमकाने की कोशिश की, तो उस पर 50,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा और उसे जेल भी हो सकती है।
योगी आदित्यनाथ ने यह भी स्पष्ट किया कि पत्रकारों को धमकाने के आरोप में गिरफ्तार किए गए लोगों को आसानी से जमानत नहीं मिलेगी। उन्होंने कहा, “पत्रकारों के साथ किसी भी प्रकार की बदसलूकी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। ऐसे मामलों में अपराधी को 24 घंटे के अंदर जेल भेजा जाएगा।”
पत्रकारों पर बढ़ते हमले:
भारत में पत्रकारों पर हमले की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं, जिनमें मीडियाकर्मियों को अपनी रिपोर्टिंग के दौरान न केवल शारीरिक हमलों का सामना करना पड़ता है, बल्कि उन्हें डराया-धमकाया भी जाता है। पिछले दिनों महाराष्ट्र में कई पत्रकारों पर हमले हुए, जिनमें मीडियाकर्मियों एवं मीडिया संस्थानों की संपत्तियों को भी नुकसान पहुंचाया गया। ऐसी घटनाओं से पत्रकारों में भय का माहौल बना हुआ है, जिससे स्वतंत्र और निष्पक्ष रिपोर्टिंग करना मुश्किल होता जा रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी का संदेश:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पत्रकारों को आश्वासन दिया है कि उनकी सुरक्षा सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि पत्रकार लोकतंत्र के चौथे स्तंभ हैं और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकार का कर्तव्य है। दोनों नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि पत्रकारों से अभद्र व्यवहार या धमकाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
मुख्यमंत्री योगी ने विशेष रूप से कहा, “पत्रकारों से सम्मान से बात करें। अगर किसी ने उनकी गरिमा को ठेस पहुंचाई या धमकाया, तो उसे महंगा पड़ सकता है।” उन्होंने आगे कहा कि ऐसे मामलों में पुलिस को त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं और किसी भी पत्रकार को परेशानी होने पर तुरंत संपर्क करने को कहा गया है।
समाज पर प्रभाव:
सरकार के इस सख्त कदम से समाज में एक स्पष्ट संदेश जा रहा है कि पत्रकारों की सुरक्षा और सम्मान को खतरे में डालना अब आसान नहीं होगा। इससे न केवल पत्रकारों को अपना काम स्वतंत्रता से करने की प्रेरणा मिलेगी, बल्कि मीडिया संस्थानों पर होने वाले हमलों में भी कमी आ सकती है। यह निर्णय देशभर में उन सभी लोगों के लिए एक चेतावनी है जो पत्रकारों को धमकाने या उनकी सुरक्षा से खिलवाड़ करते हैं।
निष्कर्ष:
पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर सरकार द्वारा उठाए गए ये कदम अत्यधिक सराहनीय हैं। लोकतंत्र में पत्रकारिता का महत्वपूर्ण स्थान होता है और यदि पत्रकार सुरक्षित रहेंगे, तभी वे बिना किसी डर के सच को जनता तक पहुंचा पाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की यह घोषणा न केवल पत्रकारों के लिए एक ढाल साबित होगी, बल्कि उन लोगों के लिए भी एक सख्त चेतावनी है जो पत्रकारों पर हमले की सोचते हैं। अब समय आ गया है कि पत्रकारों को उनके कार्य के प्रति सम्मान और सुरक्षा दी जाए, ताकि वे निडर होकर सच्चाई का सामना कर सकें और देश को सही दिशा में मार्गदर्शित कर सकें।