पटना की 150 से ज्यादा मुस्लिम महिलाएं इस साल छठ पूजा के दौरान एक अद्भुत परंपरा को जीवित रख रही हैं। ये महिलाएं न केवल अपने समुदाय की पहचान को बनाए रखती हैं, बल्कि अपने हिंदू पड़ोसियों की खुशियों में भी भागीदार बन रही हैं। छठ पूजा, जो सूर्य देवता की उपासना का पर्व है, के लिए ये महिलाएं पारंपरिक चूल्हे बनाने में जुटी हुई हैं, जिसमें विशेष ख्याल रखा जा रहा है।

इन महिलाओं ने चूल्हे बनाने की इस प्रक्रिया में न केवल अपने कौशल का प्रदर्शन किया है, बल्कि एकता और भाईचारे का संदेश भी दिया है। छठ पूजा की तैयारी में जुटी इन महिलाओं ने बताया कि वे हर साल इस पर्व में हिस्सा लेने का खास ध्यान रखती हैं, ताकि सामाजिक सद्भावना को बढ़ावा मिल सके।

महिलाओं का कहना है, “हमारे लिए यह सिर्फ एक चूल्हा बनाना नहीं है, बल्कि यह हमारे समुदाय के एकता का प्रतीक है।” इस साल, उन्होंने पारंपरिक सामग्री का इस्तेमाल कर चूल्हे बनाए हैं, जो न केवल सुगंधित होते हैं, बल्कि पूजा के लिए आवश्यक सभी मानकों का भी ध्यान रखते हैं।

सामाजिक कार्यकर्ता और स्थानीय निवासी इस पहल की सराहना कर रहे हैं। उन्होंने इसे एक बेहतरीन उदाहरण बताया है कि कैसे विभिन्न धर्मों के लोग मिलकर त्यौहारों को मनाते हैं। यह पहल पटना में धार्मिक सद्भावना का एक अनूठा उदाहरण प्रस्तुत कर रही है, जो अन्य स्थानों के लिए प्रेरणा बन सकती है।
छठ पूजा के इस माहौल में मुस्लिम महिलाओं की भागीदारी न केवल एकता का प्रतीक है, बल्कि यह यह दर्शाता है कि धर्मों के बीच के भेद को खत्म करके, हम सभी एक ही समाज का हिस्सा हैं।

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