झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में एक नया मोड़ तब आया जब कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. अजय कुमार ने ओडिशा के गवर्नर रघुवर दास पर जमशेदपुर ईस्ट विधानसभा सीट से अपनी बहू के लिए प्रचार करते हुए पैसे बांटने का आरोप लगाया। इस मामले को लेकर डॉ. कुमार ने चुनाव आयोग को एक पत्र लिखकर गवर्नर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। उनका कहना है कि संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति का इस तरह से चुनावी प्रक्रिया में भाग लेना गलत है और उन्हें पहले इस्तीफा देकर ही किसी भी प्रकार का प्रचार करना चाहिए।
रघुवर दास पर आरोप: बहू के लिए प्रचार और पैसे बांटने का मामला
कांग्रेस प्रत्याशी अजय कुमार का आरोप है कि रघुवर दास ने अपने संवैधानिक पद का दुरुपयोग करते हुए अपनी बहू पूर्णिमा दास के लिए प्रचार किया। उन्होंने आरोप लगाया कि दास ने बूथ कमेटी की बैठक में भाग लिया और वोटर्स को लुभाने के लिए पैसे बांटे। अजय कुमार का यह भी कहना है कि यदि दास को चुनाव प्रचार में हिस्सा लेना है, तो उन्हें सबसे पहले अपने गवर्नर पद से इस्तीफा देना चाहिए ताकि वह चुनाव प्रक्रिया में निष्पक्षता के सिद्धांतों का पालन कर सकें।
संवैधानिक पद का दुरुपयोग का आरोप
डॉ. अजय कुमार का आरोप है कि एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति का इस तरह से किसी चुनाव में सीधे तौर पर शामिल होना अनुचित है। उनका कहना है कि गवर्नर जैसे उच्च संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति का अपने परिवार के सदस्यों के लिए प्रचार करना और सार्वजनिक स्थानों पर पैसे बांटना चुनावी आचार संहिता का उल्लंघन है। इस प्रकार की गतिविधियाँ न केवल नैतिकता पर प्रश्नचिह्न लगाती हैं बल्कि चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता को भी प्रभावित करती हैं।
चुनाव आयोग से हस्तक्षेप की मांग
डॉ. अजय कुमार ने चुनाव आयोग से इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने अपने पत्र में दास के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है और चुनावी प्रक्रिया को शुद्ध एवं निष्पक्ष बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाने की अपील की है। उनका कहना है कि यदि गवर्नर को चुनाव प्रचार में भाग लेना ही है, तो वह पहले अपने पद से इस्तीफा दें ताकि उनका आचरण संवैधानिक दायित्वों के प्रति न्यायसंगत हो।
राजनीतिक प्रतिक्रिया और विवाद
इस मुद्दे पर राजनीतिक प्रतिक्रिया भी तीव्र रही है। कांग्रेस और विपक्षी दलों ने इस आरोप को लेकर झारखंड की राजनीति में चर्चा तेज कर दी है। उनके अनुसार, यह संवैधानिक पदों का राजनीतिक दुरुपयोग है और गवर्नर रघुवर दास को इस पर स्पष्टीकरण देना चाहिए। वहीं, दास और उनकी पार्टी ने इस आरोप को आधारहीन बताया है। उनकी पार्टी के अनुसार, यह एक राजनैतिक षड्यंत्र है जिसका उद्देश्य जनता को गुमराह करना है।
निष्पक्ष चुनाव की अहमियत
इस मामले ने झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के दौरान निष्पक्षता की अहमियत को रेखांकित किया है। झारखंड के चुनावी परिदृश्य में इस प्रकार के आरोप न केवल चुनावी प्रक्रिया पर सवाल खड़े करते हैं, बल्कि लोकतंत्र की जड़ों को भी कमजोर करने का प्रयास करते हैं। चुनाव आयोग का कर्तव्य है कि वह चुनावी आचार संहिता का पालन सुनिश्चित करे और किसी भी संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति द्वारा चुनावी नियमों का उल्लंघन न हो।
निष्कर्ष
झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के दौरान रघुवर दास पर लगाए गए इस आरोप ने संवैधानिक पदों के दायित्वों और नैतिकता पर एक गहरी चर्चा को जन्म दिया है। इस मुद्दे का समाधान चुनाव आयोग के निष्पक्ष निर्णय और संवैधानिक पदों की गरिमा को बनाए रखने में निहित है।