भारत के सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजीव खन्ना को सोमवार को भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलाई गई। उन्होंने न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ का स्थान लिया, जो रविवार को सेवानिवृत्त हो गए थे। न्यायमूर्ति खन्ना का कार्यकाल 13 मई, 2025 तक रहेगा।
नियुक्ति की प्रक्रिया और न्यायमूर्ति खन्ना की पृष्ठभूमि
इस नियुक्ति को केंद्र सरकार ने 24 अक्टूबर को अधिसूचित किया था। पूर्व मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने 16 अक्टूबर को उनकी नियुक्ति की सिफारिश की थी। न्यायमूर्ति खन्ना ने जनवरी 2019 में सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में अपनी सेवा शुरू की थी और तब से वे कई महत्वपूर्ण फैसलों का हिस्सा रहे हैं। उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की वैधता को बनाए रखने, चुनावी बांड योजना को रद्द करने, अनुच्छेद 370 की समाप्ति का समर्थन करने और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने जैसे कई ऐतिहासिक फैसलों में योगदान दिया है।
न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ का विदाई समारोह
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ के अंतिम कार्य दिवस पर, शुक्रवार को, सर्वोच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों, वकीलों और कर्मचारियों ने उन्हें भव्य विदाई दी। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ का कार्यकाल भारतीय न्यायपालिका के लिए मील का पत्थर साबित हुआ, और उन्हें विभिन्न सुधारों के लिए याद किया जाएगा।
न्यायमूर्ति खन्ना की चुनौतियाँ और प्राथमिकताएँ
मुख्य न्यायाधीश के रूप में, न्यायमूर्ति खन्ना के समक्ष कई संवैधानिक और सामाजिक चुनौतियाँ होंगी। भारतीय न्यायपालिका में लंबित मामलों की संख्या को कम करना, त्वरित और सस्ती न्याय प्रक्रिया सुनिश्चित करना, तथा संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करना उनके कार्यकाल के महत्वपूर्ण लक्ष्य होंगे।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना का कार्यकाल भारतीय न्यायपालिका में एक नई दिशा और ऊर्जा लाने की संभावना रखता है, और उनसे उम्मीद की जा रही है कि वे न्यायपालिका की स्वतंत्रता और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा में अपना महत्वपूर्ण योगदान देंगे।