झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से राज्य के विभिन्न जिलों से आए जिला परिषद अध्यक्ष एवं उपाध्यक्षों के एक प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में मुलाकात की। यह बैठक राज्य के विकास और ग्रामीण क्षेत्रों में शासन सुधार से जुड़े मुद्दों को लेकर महत्वपूर्ण रही। प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को अपनी कुछ प्रमुख समस्याओं और मांगों से संबंधित ज्ञापन सौंपा, जिसमें जनसेवाओं की बेहतरी, संसाधनों की कमी, और प्रशासनिक सुधार की बात प्रमुखता से रखी गई।

बैठक का उद्देश्य

जिला परिषद अध्यक्ष और उपाध्यक्ष अपने-अपने जिलों में ग्रामीण विकास के सबसे प्रमुख जनप्रतिनिधि होते हैं। उनकी जिम्मेदारियों में स्थानीय स्तर पर योजनाओं का क्रियान्वयन और जनता से जुड़े मुद्दों को हल करना शामिल होता है। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य स्थानीय प्रशासन की समस्याओं को राज्य सरकार तक पहुंचाना और उनका समाधान प्राप्त करना था। साथ ही, ग्रामीण विकास को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए आवश्यक संसाधनों और ढांचागत सुविधाओं की मांग की गई।

प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को बताया कि जिलों में कई योजनाएं तो बनाई जाती हैं, लेकिन उनके सफल क्रियान्वयन के लिए पर्याप्त बजटीय आवंटन और प्रशासनिक समर्थन की कमी महसूस की जा रही है। विशेष रूप से सुदूर और पिछड़े इलाकों में बुनियादी ढांचे की कमी, स्वास्थ्य सेवाओं की खराब स्थिति, और शिक्षा प्रणाली की चुनौतियों का उल्लेख किया गया।

प्रमुख मांगे और समस्याएं

1. बजट और वित्तीय आवंटन की मांग:
जिला परिषद के अध्यक्षों ने वित्तीय आवंटन में वृद्धि की मांग की ताकि ग्रामीण विकास की योजनाओं का सही तरीके से क्रियान्वयन हो सके। कई जिलों में आवश्यक संसाधनों की कमी के कारण विकास कार्य अधर में लटके हुए हैं। अध्यक्षों ने कहा कि यदि सरकार द्वारा पर्याप्त वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है, तो वे अपने क्षेत्रों में सुधार कार्यों को और तेजी से अंजाम दे सकते हैं।

2. स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में सुधार:
ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति को लेकर प्रतिनिधिमंडल ने चिंता जताई। उन्होंने कहा कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों और नर्सों की कमी है, जिसके चलते आम जनता को बड़ी परेशानी हो रही है। इसी तरह, शिक्षा क्षेत्र में शिक्षकों की कमी और बुनियादी सुविधाओं के अभाव ने बच्चों के भविष्य पर भी असर डाला है।

3. बुनियादी ढांचे की स्थिति:
सड़कों, बिजली, और पेयजल की कमी कई जिलों में एक बड़ी समस्या बनी हुई है। प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि राज्य सरकार इन क्षेत्रों में ध्यान देकर ग्रामीण जनता के जीवन स्तर को सुधारने के लिए प्रभावी कदम उठाए।

4. प्रशासनिक सुधार:
जिला परिषद अध्यक्षों ने प्रशासनिक ढांचे में सुधार की मांग की, जिससे वे अपने कार्यक्षेत्र में अधिक सशक्त और स्वतंत्र रूप से काम कर सकें। उन्होंने कहा कि जिला स्तर पर कई बार नौकरशाही की धीमी प्रक्रिया के कारण विकास कार्यों में बाधा आती है।

मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रतिनिधिमंडल की बातों को गंभीरता से सुना और उनकी समस्याओं के समाधान का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार जिला परिषदों की भूमिका को और सशक्त बनाने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री ने बताया कि उनकी सरकार का मुख्य लक्ष्य राज्य के हर जिले और गांव में विकास कार्यों को तेज गति से पूरा करना है।

मुख्यमंत्री के आश्वासन:

  1. वित्तीय आवंटन में वृद्धि: मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार आने वाले बजट में ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए अधिक वित्तीय सहायता देने की योजना बना रही है।
  2. स्वास्थ्य और शिक्षा में सुधार: उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में विशेष योजनाएं लागू कर रही है। जल्द ही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों और नर्सों की भर्ती की जाएगी और स्कूलों में शिक्षकों की कमी को दूर करने के प्रयास किए जाएंगे।
  3. बुनियादी ढांचे के विकास: मुख्यमंत्री ने सड़कों, बिजली और पेयजल जैसी बुनियादी सुविधाओं की समस्या को हल करने के लिए नए प्रोजेक्ट्स लाने का वादा किया। उन्होंने कहा कि राज्य के सभी क्षेत्रों को जल्द से जल्द इन बुनियादी सेवाओं से जोड़ा जाएगा।
  4. प्रशासनिक सुधार: मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि प्रशासनिक सुधारों के माध्यम से जिला परिषदों को और अधिक सशक्त बनाया जाएगा ताकि वे अपने कार्यक्षेत्र में अधिक प्रभावी रूप से काम कर सकें।

निष्कर्ष

यह बैठक राज्य के विकास और ग्रामीण क्षेत्रों की समस्याओं को हल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में राज्य सरकार जिला परिषदों की मांगों पर गंभीरता से विचार कर रही है और जल्द ही इन समस्याओं का समाधान निकालने की दिशा में ठोस कदम उठाएगी। यह मुलाकात राज्य के विकास और जनहित के कार्यों में एक नया मोड़ साबित हो सकती है, जिससे झारखंड के ग्रामीण इलाकों की स्थिति में सुधार होगा और वहां के लोगों को एक बेहतर जीवन जीने का अवसर मिलेगा।

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