जब पूरा देश महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर भगवान शिव की भक्ति में लीन था, तब झारखंड के हजारीबाग जिले में एक शर्मनाक और निंदनीय घटना सामने आई। महाशिवरात्रि के जुलूस के दौरान हिंसा भड़क उठी, जिसमें पत्थरबाजी और झड़पों की खबरें आईं। इस घटना ने पूरे राज्य में आक्रोश पैदा कर दिया और सरकार की सुरक्षा व्यवस्थाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए।
हजारीबाग में महाशिवरात्रि जुलूस पर हमला
हजारीबाग जिले में हिंदू समुदाय द्वारा निकाले गए महाशिवरात्रि जुलूस पर असामाजिक तत्वों द्वारा सुनियोजित तरीके से हमला किया गया। जुलूस में शामिल श्रद्धालुओं पर पत्थरबाजी की गई, जिससे इलाके में तनाव फैल गया। इस अप्रत्याशित हमले ने प्रशासन की तैयारियों और सरकार की मंशा पर सवालिया निशान लगा दिया। यह घटना पहली बार नहीं हुई है; इससे पहले भी झारखंड में रामनवमी, नवरात्रि और सरस्वती पूजा के दौरान इसी तरह की घटनाएं हो चुकी हैं।
बाबूलाल मरांडी का हेमंत सरकार पर हमला
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी ने इस घटना को लेकर हेमंत सोरेन सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार हिंदुओं को सुरक्षा देने में पूरी तरह विफल रही है। उन्होंने सरकार पर तुष्टिकरण की राजनीति करने और उपद्रवियों पर कार्रवाई न करने का आरोप लगाया।
मरांडी ने कहा, “यह पहली बार नहीं है जब हिंदू त्योहारों पर हिंसा की गई हो। रामनवमी, नवरात्रि, सरस्वती पूजा और अब महाशिवरात्रि के दौरान लगातार सुनियोजित हमले हो रहे हैं। सरकार को पहले से इन घटनाओं की आशंका थी, फिर भी सुरक्षा इंतजाम नाकाफी थे। अगर हमारी संस्कृति और परंपराओं पर ऐसे हमले जारी रहे, तो सनातन हिंदू समाज अपनी रक्षा करने के लिए स्वयं आगे आएगा।”
झारखंड में हिंदू पर्वों पर हमले की साजिश?
पिछले कुछ वर्षों में झारखंड में हिंदू पर्वों और धार्मिक आयोजनों को लगातार निशाना बनाया गया है। हजारीबाग में ही रामनवमी के दौरान महुदी गांव में जुलूस निकालने को लेकर 1989 से विवाद चला आ रहा है। प्रशासन के प्रतिबंध के कारण वहां जनाक्रोश भड़क उठा था और पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा था।
अब महाशिवरात्रि के दौरान हुई हिंसा यह दिखाती है कि सरकार की कानून-व्यवस्था पूरी तरह चरमरा चुकी है। लगातार हो रही ऐसी घटनाओं के बावजूद प्रशासन का ढुलमुल रवैया चिंताजनक है। यह सवाल उठता है कि आखिर ऐसी हिंसा को रोकने के लिए ठोस कार्रवाई क्यों नहीं की जाती?
हेमंत सरकार की नाकामी और तुष्टिकरण की राजनीति
झारखंड की वर्तमान हेमंत सरकार पर तुष्टिकरण की राजनीति करने के आरोप पहले भी लगते रहे हैं, लेकिन अब ये आरोप और मजबूत हो गए हैं। हिंदू समुदाय को लगातार निशाना बनाए जाने के बावजूद अपराधियों पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं होती, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार की मंशा संदिग्ध है।
सरकार के इस रवैये से असामाजिक तत्वों का मनोबल बढ़ रहा है और वे लगातार हिंदू त्योहारों को बाधित करने की साजिश कर रहे हैं। राज्य सरकार की निष्क्रियता के कारण ही ऐसे उपद्रवी बार-बार हिंसा फैलाने में सफल हो रहे हैं।
झारखंड पुलिस और प्रशासन को सख्त कदम उठाने की जरूरत
हजारीबाग की इस घटना के बाद झारखंड पुलिस और प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है कि दोषियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाए और कड़ी से कड़ी सजा दी जाए। अगर सरकार कानून का पालन सुनिश्चित नहीं करती, तो भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति होगी, जिससे राज्य का सामाजिक ताना-बाना और अधिक कमजोर हो सकता है।
क्या झारखंड में हिंदू असुरक्षित हैं?
लगातार हो रही ऐसी घटनाएं यह सवाल खड़ा करती हैं कि क्या झारखंड में हिंदू समुदाय असुरक्षित महसूस कर रहा है? त्योहारों के दौरान बार-बार हिंसा का शिकार होना और सरकार की निष्क्रियता ने राज्य में धार्मिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा दिया है।
हेमंत सरकार को अब यह स्पष्ट करना होगा कि वह राज्य में शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए किस तरह की कार्रवाई कर रही है। अगर हिंदू त्योहारों पर बार-बार हमले होते रहेंगे और प्रशासन मूकदर्शक बना रहेगा, तो यह आने वाले समय में झारखंड के लिए गंभीर संकट का कारण बन सकता है।
निष्कर्ष: सरकार को जवाब देना होगा
हजारीबाग में महाशिवरात्रि के दौरान हुई हिंसा सिर्फ एक घटना नहीं है, बल्कि यह झारखंड की लचर कानून-व्यवस्था का प्रमाण है। तुष्टिकरण की राजनीति में लिप्त सरकार अगर ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई नहीं करती, तो राज्य में अराजकता और अस्थिरता और बढ़ सकती है।
अब सवाल यह है कि क्या हेमंत सरकार हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कोई ठोस कदम उठाएगी, या फिर राजनीति की चक्की में हिंदू त्योहारों को इसी तरह कुचला जाता रहेगा?