झारखंड में मनरेगा श्रमिकों के लिए राहत भरी खबर आई है। हेमंत सोरेन सरकार मनरेगा के तहत मजदूरी दर बढ़ाने की योजना पर काम कर रही है। इस बदलाव से श्रमिकों को पहले की तुलना में अधिक पारिश्रमिक मिलेगा, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार की उम्मीद है। राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से भी इस मामले में सकारात्मक प्रतिक्रिया प्राप्त कर ली है।
नए मानकों के तहत मिलेगा अधिक पारिश्रमिक
राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका पांडेय सिंह ने जानकारी दी कि मनरेगा मजदूरी के भुगतान में सुधार किया जाएगा। अब मजदूरों को 73 सीएफटी (घन फीट) मिट्टी खुदाई के बजाय 53 सीएफटी पर मजदूरी मिलेगी। राष्ट्रीय स्तर पर यह सीमा 48 सीएफटी निर्धारित की गई है, जिससे झारखंड के श्रमिकों को अन्य राज्यों के मुकाबले बेहतर मजदूरी मिलने की उम्मीद है।
केंद्र सरकार से मिली सहमति
पिछले दिनों झारखंड सरकार ने केंद्र सरकार से मनरेगा मजदूरी दर में वृद्धि की मांग की थी। ग्रामीण विकास मंत्री ने केंद्रीय मंत्री के साथ बैठक कर इस मुद्दे को उठाया था, जिसके बाद केंद्र सरकार ने प्रस्ताव को अपनी सहमति प्रदान कर दी है। इससे झारखंड के मजदूरों को कम परिश्रम में ज्यादा भुगतान सुनिश्चित किया जाएगा, जिससे उनकी जीवनशैली में सुधार होगा।
पलायन रोकने की कोशिश
झारखंड में मजदूरी दर कम होने के कारण श्रमिकों का बड़े पैमाने पर अन्य राज्यों में पलायन होता है। वर्तमान में मनरेगा के तहत केंद्र सरकार 245 रुपये प्रतिदिन मजदूरी देती है, जिसमें झारखंड सरकार 27 रुपये अतिरिक्त योगदान कर कुल 272 रुपये मजदूरी दे रही है। हालांकि, राज्य सरकार ने इसे 350 रुपये तक बढ़ाने की मांग की है, जिससे मजदूरों को उनके गृह राज्य में ही पर्याप्त रोजगार और सम्मानजनक वेतन मिल सके।
मजदूरों को मिलेगा सीधा लाभ
नए मानकों के लागू होने से झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले हजारों मनरेगा श्रमिकों को सीधा फायदा मिलेगा। सरकार का मानना है कि इससे न केवल पलायन में कमी आएगी, बल्कि श्रमिकों की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी। साथ ही, मनरेगा के तहत अधिक लोग रोजगार से जुड़ सकेंगे, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
हेमंत सोरेन सरकार का यह कदम झारखंड के श्रमिकों के हित में बड़ा फैसला साबित हो सकता है। अब देखना यह होगा कि बढ़ी हुई मजदूरी दर कब से प्रभावी होगी और इसका श्रमिकों पर कितना सकारात्मक असर पड़ता है।