झारखंड सरकार संगठित और असंगठित क्षेत्रों में काम करने वाले श्रमिकों के हितों को ध्यान में रखते हुए श्रम कानूनों की एक नई नियमावली तैयार कर रही है। केंद्र सरकार द्वारा पहले 29 श्रम कानूनों को चार व्यापक श्रम संहिताओं (कोड) में समाहित किया गया था, और अब राज्य सरकार भी इसी दिशा में कदम बढ़ा रही है। झारखंड में लागू 15 से अधिक श्रम कानूनों को चार प्रमुख नियमावलियों में समाहित किया जाएगा, जिससे श्रमिकों को उनके अधिकारों और सुरक्षा का अधिक प्रभावी लाभ मिल सके।

चार प्रमुख श्रम नियमावलियां

1. सोशल सिक्योरिटी (झारखंड) नियमावली

इस नियमावली का उद्देश्य राज्य के श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए एक ठोस कानूनी ढांचा तैयार करना है। इसमें बीमा, पेंशन, ग्रेच्युटी और मातृत्व लाभ जैसी सुविधाएं शामिल की जाएंगी। इसके तहत झारखंड कर्मकार प्रतिकर नियमावली-1924, झारखंड प्रसूति सुविधा नियमावली-1964, झारखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार नियमावली-2006 और झारखंड असंगठित कर्मकार सामाजिक सुरक्षा नियमावली-2013 जैसी मौजूदा व्यवस्थाओं को एकीकृत किया जाएगा। इसके अलावा, श्रमिकों के कल्याण से जुड़े विभिन्न बोर्ड और फंड भी इस नियमावली के तहत लाए जाएंगे।

2. ऑक्यूपेशनल सेफ्टी हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन (झारखंड) नियमावली

इस नियमावली के तहत कार्यस्थल पर सुरक्षा और स्वास्थ्य से जुड़े प्रावधानों को मजबूत किया जाएगा। इसमें कारखाना, खनन, निर्माण, बागान, मोटर परिवहन, बीड़ी-सिगार उद्योग, संविदा श्रमिक और प्रवासी मजदूरों के लिए सुरक्षा उपायों को शामिल किया जाएगा। इस नियमावली में झारखंड कारखाना नियमावली-1950, झारखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार नियमावली-2006 और झारखंड ठेका श्रम नियमावली-1972 जैसी पुरानी व्यवस्थाओं को शामिल कर नया कानूनी ढांचा तैयार किया जाएगा।

3. इंडस्ट्रियल रिलेशन (झारखंड) नियमावली

इस नियमावली का मुख्य उद्देश्य उद्योगों और श्रमिकों के बीच संबंधों को संतुलित करना और विवादों को कम करना है। इसमें ट्रेड यूनियन अधिकारों को सुनिश्चित करने के साथ-साथ औद्योगिक विवाद निपटान की प्रक्रिया को भी सरल बनाया जाएगा। नई नियमावली में औद्योगिक विवाद (झारखंड) नियमावली-1961 और औद्योगिक नियोजन (स्थायी आदेश) झारखंड नियमावली-1947 जैसी व्यवस्थाओं को समाहित किया जाएगा।

4. वर्कर्स वेजेस (झारखंड) नियमावली

न्यूनतम मजदूरी और समय पर वेतन भुगतान सुनिश्चित करने के लिए यह नियमावली लागू की जाएगी। इसमें झारखंड मजदूरी भुगतान नियमावली-1937 और झारखंड न्यूनतम मजदूरी नियमावली-1951 को मिलाकर एक व्यापक नीति बनाई जाएगी, जिससे श्रमिकों को उनके मेहनताने का पूरा और समय पर भुगतान सुनिश्चित हो सके।

नए नियमों का असर और भविष्य की दिशा

इन श्रम कानूनों को लागू करने से झारखंड के लाखों श्रमिकों को संगठित और असंगठित क्षेत्रों में अधिक सुरक्षा और अधिकार मिलेंगे। श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा, कामकाज की स्थिति में सुधार और न्यूनतम मजदूरी की गारंटी से उनके जीवन स्तर को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।

फिलहाल इन चारों नियमावलियों पर विचार-विमर्श चल रहा है, और विधि विभाग से स्वीकृति मिलने के बाद इन्हें कैबिनेट के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। झारखंड सरकार का यह कदम श्रमिक कल्याण की दिशा में एक बड़ा सुधार साबित हो सकता है, जिससे श्रमिकों को कानूनी संरक्षण और अधिक सुविधाएं मिल सकेंगी।

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