The Mediawala Express | रांची
रांची के कांके क्षेत्र में दिनदहाड़े हुई भाजपा नेता अनिल महतो उर्फ अनिल टाइगर की हत्या मामले में पुलिस ने बड़ा खुलासा किया है। इस सनसनीखेज हत्याकांड के तार अब एक महंगी जमीन विवाद से जुड़े पाए गए हैं। पुलिस ने अब तक इस मामले में पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि दो मुख्य साजिशकर्ता अब भी फरार हैं।
कब और कैसे हुई हत्या?
घटना 26 मार्च 2025 को दोपहर के समय कांके चौक स्थित ठाकुर होटल के पास हुई थी, जहां अनिल टाइगर पर दो बाइक सवार अपराधियों ने ताबड़तोड़ गोलियां चला दीं। सिर में गोली लगने के कारण उनकी मौके पर ही मौत हो गई। हमले के तुरंत बाद इलाके में अफरा-तफरी मच गई और स्थानीय लोग दहशत में आ गए।
पहले ही दिन गिरफ्तार हुआ एक शूटर
पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए हमलावरों में से एक रोहित वर्मा को मुठभेड़ के दौरान घायल कर गिरफ्तार कर लिया था। उसका साथी अमन सिंह मौके से फरार हो गया था, जिसे अब पकड़ लिया गया है।
चार और आरोपियों की गिरफ्तारी
रांची पुलिस ने ताजा कार्रवाई करते हुए अमन सिंह, जिशान अख्तर, मनीष चौरसिया और अजय कुमार को गिरफ्तार किया है। इसके साथ ही इस हत्याकांड में अब तक पांच गिरफ्तारियां हो चुकी हैं।
मुख्य साजिशकर्ता अभी भी फरार
पुलिस की एसआईटी को जांच में दो मुख्य साजिशकर्ता देवब्रतनाथ शाहदेव और अभिषेक सिन्हा उर्फ सूरज सिन्हा के नाम मिले हैं, जो अभी फरार हैं। पुलिस की टीम लगातार इनकी तलाश में छापेमारी कर रही है।
जमीन विवाद है हत्या की असली वजह
सूत्रों के अनुसार, यह हत्या कांके क्षेत्र में स्थित लगभग 10 एकड़ जमीन को लेकर हुए विवाद की परिणति है। देवब्रतनाथ शाहदेव, जो कि एक भूमि व्यवसायी हैं, का भाजपा नेता अनिल टाइगर से जमीन को लेकर विवाद था। इसी विवाद को सुलझाने की बजाय हत्या की साजिश रची गई।
राजनीतिक हलचल और विरोध प्रदर्शन
हत्या के अगले दिन यानी 27 मार्च को भारतीय जनता पार्टी और आजसू पार्टी ने रांची बंद का आह्वान किया था। आम जनता और कार्यकर्ताओं ने कांके चौक, बूटि मोड़, रिम्स चौक जैसे इलाकों में जोरदार प्रदर्शन किया। पुलिस ने बंद के दौरान भाजपा के कई नेताओं को हिरासत में लिया, जिसमें प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव भी शामिल थे।
जांच में जुटी एसआईटी
एसएसपी चंदन कुमार सिन्हा के निर्देश पर इस हत्याकांड की जांच के लिए विशेष जांच टीम (SIT) का गठन किया गया है। पुलिस का दावा है कि अब जांच अंतिम चरण में है और जल्द ही फरार आरोपियों को भी गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
निष्कर्ष
भाजपा नेता अनिल टाइगर की हत्या केवल एक आपराधिक वारदात नहीं, बल्कि एक जटिल राजनीतिक और ज़मीन से जुड़े विवाद की परिणति है। रांची पुलिस द्वारा अब तक की गई कार्रवाई सराहनीय है, लेकिन जब तक सभी मुख्य साजिशकर्ता सलाखों के पीछे नहीं पहुंचते, यह मामला पूरी तरह सुलझा नहीं माना जा सकता।