धनबाद में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बीसीसीएल (भारत कोकिंग कोल लिमिटेड) के कुइया ओपन कास्ट प्रोजेक्ट से जुड़े करोड़ों के फर्जीवाड़े में बड़ी कार्रवाई की है। इस मामले में तत्कालीन जीएम फूल कुमार दुबे समेत आठ लोगों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया गया है। यह कार्रवाई केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा जनवरी 2019 में दर्ज केस के आधार पर हुई है।

क्या है पूरा मामला?

यह घोटाला 2015 से 2018 के बीच का बताया जा रहा है, जब बीसीसीएल के अधिकारियों ने रिकॉर्ड में हेरफेर कर ओवरबर्डन (ओबी) के अधिक निष्कासन को दर्शाया। जांच में सामने आया कि इस दौरान 35,30,769 क्यूबिक मीटर ओबी का गलत आंकड़ा पेश कर 22.16 करोड़ रुपये का नुकसान किया गया। आरोप है कि अधिकारियों ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर मेसर्स एटी-लिब्रा बीपीएल (जेवी), धनबाद को अनुचित लाभ पहुंचाया।

इस घोटाले का खुलासा तब हुआ जब सीएमपीडीआई, रांची और कोल इंडिया लिमिटेड-बीसीसीएल धनबाद की सतर्कता विभाग की संयुक्त टीम ने औचक निरीक्षण किया। इस जांच में माप पुस्तकों, बिलों और अन्य दस्तावेजों में अनियमितता पाई गई, जिसके बाद सीबीआई ने मामले को दर्ज किया और अब ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के तहत कार्रवाई शुरू की है।

किन लोगों पर हुआ केस दर्ज?

ईडी ने जिन लोगों को आरोपी बनाया है, उनमें बीसीसीएल के बस्ताकोला क्षेत्र के तत्कालीन महाप्रबंधक फूल कुमार दुबे, अपर महाप्रबंधक अरविंद कुमार झा, क्षेत्रीय सर्वेक्षण अधिकारी मृत्युंजय कुमार सिंह, कुइया ओपन कास्ट परियोजना के तत्कालीन परियोजना पदाधिकारी विष्णु कांत झा, कोलियरी प्रबंधक निमाई चंद्र घोष और अरुण कुमार, कोलियरी सर्वेयर ललन कुमार सिंह और मेसर्स एटी-लिब्रा बीपीएल (जेवी) शामिल हैं।

ईडी की कार्रवाई क्यों महत्वपूर्ण?

धनबाद में बीसीसीएल से जुड़े मामलों में यह इस साल की दूसरी बड़ी कार्रवाई है, जिससे कोयला खनन क्षेत्र में भ्रष्टाचार के मामलों पर एजेंसियों की सख्ती का संकेत मिलता है। ईडी की यह कार्रवाई न केवल बड़े आर्थिक अपराधों पर लगाम लगाने का प्रयास है, बल्कि सरकारी कंपनियों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में भी एक अहम कदम मानी जा रही है।

आगे की जांच में अगर अन्य लोगों की संलिप्तता सामने आती है, तो और भी गिरफ्तारी या कार्रवाई संभव हो सकती है।

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