दिल्ली के कालिंदी कुंज इलाके में यमुना नदी में जहरीला झाग तैरता दिखा, जिससे प्रदूषण का स्तर बढ़ने पर लोगों और राजनीतिक नेताओं की चिंताएं बढ़ गई हैं। छठ पूजा के ठीक पहले, यह स्थिति धार्मिक आस्थाओं से जुड़े लोगों के लिए भी एक चिंता का कारण बन गई है। झाग का बनना प्रदूषण के उच्च स्तर का संकेत है, जो पानी में विषाक्तता और औद्योगिक अपशिष्ट के मिश्रण की वजह से होता है।

यमुना सफाई के लिए कदम

दिल्ली जल बोर्ड (DJB) की एक टीम पिछले हफ्ते से यमुना में रसायनों का छिड़काव कर झाग को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही है। इस दौरान, पानी की सतह पर दिखने वाले झाग को साफ करने और उसे कम करने के लिए रासायनिक डिफोमर्स का छिड़काव किया जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यमुना में फॉस्फेट्स और अन्य औद्योगिक रसायनों के अधिक स्तर से यह झाग बनता है, जो लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।

राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप

दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर आरोप लगाते हुए इसे ‘गंदी राजनीति’ का नतीजा करार दिया। उन्होंने कहा कि भाजपा की ‘गंदी राजनीति’ ही दिल्ली में वायु और जल प्रदूषण का कारण है। मुख्यमंत्री ने लोगों को भरोसा दिलाया कि आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में दिल्ली सरकार प्रदूषण की इस समस्या को हल करने के लिए हरसंभव कदम उठा रही है।

छठ पूजा से पहले धार्मिक आस्थाओं पर असर

छठ पूजा के अवसर पर दिल्ली के कई श्रद्धालु यमुना नदी में स्नान और पूजा करने के लिए इकट्ठा होते हैं। ऐसे में यमुना नदी में झाग के बढ़ते स्तर से लोगों की धार्मिक आस्थाओं पर भी असर पड़ रहा है। सरकार द्वारा लिए गए इन उपायों से यह देखा जाएगा कि श्रद्धालु सुरक्षित और स्वच्छ वातावरण में पूजा कर सकें।

निष्कर्ष

दिल्ली में यमुना का प्रदूषण स्तर राजधानी के स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए एक बड़ा खतरा है। आम आदमी पार्टी की सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की सफलता आने वाले समय में प्रदूषण की स्थिति को सुधारने में अहम साबित हो सकती है। यमुना को साफ रखने और प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए जनता की सहभागिता और जागरूकता भी महत्वपूर्ण है।

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