प्रयागराज। महाकुंभ 2025 में सुचारु परिवहन व्यवस्था के दावों के बीच उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (UPRCTC) के ड्राइवर और कंडक्टरों की परेशानियां बढ़ती जा रही हैं। सूत्रों के हवाले से खबर है कि न सिर्फ इन कर्मचारियों को ओवरटाइम करने के लिए मजबूर किया जा रहा है, बल्कि इसका भुगतान भी नहीं हो रहा। इसके विपरीत, अधिकारियों द्वारा उन पर रोज़ाना एक निश्चित लक्ष्य (टारगेट) पूरा करने का दबाव डाला जा रहा है।
ओवरटाइम का पैसा नहीं, लेकिन काम की मजबूरी
सूत्रों के मुताबिक, रोडवेज कर्मियों को अतिरिक्त घंटों की ड्यूटी तो करनी पड़ रही है, लेकिन उन्हें ओवरटाइम भत्ता नहीं दिया जा रहा। कई ड्राइवरों ने इस बारे में अधिकारियों से शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। वहीं, लगातार लंबी ड्यूटी करने के कारण ड्राइवरों को पर्याप्त नींद नहीं मिल पा रही, जिससे सड़क पर हादसों की आशंका भी बढ़ गई है।
अधिकारियों का टारगेट दबाव बना रहा मुश्किलें
जानकारी के अनुसार, परिवहन विभाग के अधिकारियों ने ड्राइवरों और कंडक्टरों को एक दिन में अधिकतम यात्रियों को लाने-ले जाने का लक्ष्य (टारगेट) दिया है। इससे कर्मचारी मानसिक और शारीरिक रूप से दबाव में आ गए हैं। रोडवेज के एक कर्मचारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि “हमें आदेश दिया जाता है कि रोज़ाना कितने यात्रियों को लेकर जाना है। चाहे थकावट हो या कुछ और, हमें बस चलानी पड़ती है। अगर कोई शिकायत करता है, तो उस पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की धमकी दी जाती है।”
सरकार कब लेगी संज्ञान?
कुंभ जैसे बड़े आयोजन में परिवहन कर्मचारियों की यह स्थिति चिंताजनक है। सरकार भले ही यात्रियों की सुविधाओं पर ध्यान दे रही हो, लेकिन जो कर्मचारी इस व्यवस्था को सुचारु बनाए रखने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं, उनकी समस्याओं को नजरअंदाज किया जा रहा है।
अब सवाल यह है कि क्या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और परिवहन विभाग इस मुद्दे पर कोई कार्रवाई करेंगे? या फिर ये ड्राइवर और कंडक्टर इसी तरह बिना उचित वेतन और सुविधाओं के काम करने को मजबूर रहेंगे?