भारतीय संस्कृति और सभ्यता का इतिहास हजारो साल पुराना है, सम्पूर्ण विश्व में सनातन धर्म की पहचान रही है। अनेक आक्रमण और दमनकारी नीति द्वारा, धर्म परिवर्तन के दबाव तथा लाखो मंदिर तोड़े जाने के कारण इसकी शाख कुछ फीकी पड़ गई थी।
जिसका मुख्य कारण एकता न होना बताया जाता है, लेकिन अब पुनः हिन्दू धर्म और संस्कृति की पहचान पूरी दुनिया में हो रही है।
सनातन धर्म, शांति का प्रतीक माना जाता है, इसमें सभी प्राणियों के प्रति प्रेम की भावना होती है।
यह विश्व का सबसे प्राचीनतम धर्म है, जो पूरी दुनिया में फैला हुआ था जिसके साक्ष्य आज भी अनेक देशो में मिलते है। सनातन धर्म से ही सारे धर्मो का उद्गम हुआ है।
सनातन धर्म की महानता का परिचय देने का कोई आवश्यकता नहीं है क्योकि पुरे दुनिया में इसकी ख्याति पहले से ही है जो अपनी विनम्रता और उदारता के लिए जाना जाता है।
इस धर्म में प्रकृति के प्रति अपार प्रेम और आस्था है साथ ही इन आस्थाओ के पीछे अनेक सिद्धांत भी छिपे हुए जो की आज की साइंटिफिक टेक्नोलॉजी को चुनौती देती है।
विश्व में यह एक मात्रा ऐसा धर्म है, जिससे साइंस की दुनिया से बराबरी में तौला जाता है।
कुछ धर्म का इतिहास 500 साल, 1000 साल और अधिकतम 2000 साल है, परन्तु सनातन धर्म की प्राचीनता लाखो वर्ष पुराणी है, जिसे अनेक ग्रन्थ और वेद साबित कर चुके है।
आज के समय में नासा और इसरो जिस प्रकार ग्रहण के बारे में पूर्ण जानकारी देते है वही सारी हमारे पूर्वज आज से हजारो साल पहले पंचांग के माध्यम से दे देते थे।
सनातन शब्द का अर्थ होता है जगजाहिर है, यानि हम मूलरूप से कह सकते है की जो हमेशा से मौजूद हो जिसका किसी व्यक्ति विशेष से सम्बन्ध न हो।
सनातन धर्म मे किसी भी एक ऐसे देवता का नाम नहीं लिया जा सकता, जिसमे हम कह सके की ये हिंदू सनातन परंपरा का जन्मदाता कह सके।
दुनिया के बाकि धर्मो की किसी विशेष व्यक्ति की विचारधारा से उत्पत्ति हुई है।
इस्लाम, जरथुस्त्रियन, क्रिश्चियनिटी, जैनिज्म, बुद्धिज्म, पारसीक आदि धर्मों की मान्यताएं मूल रूप से किसी न किसी पैगंबर या देव दूतों के संदेशों का निर्वहन करती हैं।
इन धर्मो के सिद्धांत किसी एक व्यक्ति की जीवन शैली या कार्यप्रणली का पूर्ण प्रभाव होता है परन्तु हिन्दू धर्म में इस प्रकार की कोई विचारधारा या मान्यता नहीं है।
हिन्दू धर्म में हर एक विषय या क्षेत्र के लिए एक समर्पित देवी-देवता को चुना और रखा गया है। ऐसी वजह से उचित संतुलन बना हुआ रहता है।
सनातन धर्म का एक ही नारा है सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया, सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुख भागभवेत। ऊँ शांतिः शांतिः शांतिः।
अर्थात “धारा पर निवास करने वाले सभी सुखी होवें, सभी निरोगी रहें, सभी जीवों का मंगल हो और कोई भी दुःख के भागी न बने ।
भारतीय संस्कृति तथा सनातन धर्म की महानता और एकता को बनाये रखे, ताकि हिंदुत्व जिन्दा रहे और सम्पूर्ण विश्व का कल्याण हो सके।