रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने रांची के सेवा सदन के सामने सड़क मरम्मत में हो रही देरी पर नाराज़गी जताई है। अदालत ने मौखिक टिप्पणी करते हुए सवाल किया कि क्या सरकारी विभाग सिर्फ एक-दूसरे को पत्र ही लिखते रहेंगे या फिर वास्तव में काम भी शुरू करेंगे।
कोर्ट ने उठाए सवाल
सुनवाई के दौरान बिजली विभाग के अधिकारियों से पूछा गया कि पहले दिए गए कोर्ट निर्देश का पालन हुआ या नहीं। इस पर अधिकारियों ने बताया कि लगभग एक साल पहले रांची नगर निगम आयुक्त को सड़क बनाने के लिए पत्र भेजा गया था। इस जवाब पर कोर्ट ने नाराज़गी जताते हुए कहा कि सिर्फ चिट्ठियां लिखने से समस्या का हल नहीं होगा, ज़मीन पर काम दिखना चाहिए।
टेंडर जारी, लेकिन समयसीमा तय नहीं
राज्य सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि सड़क और नाली निर्माण के लिए टेंडर जारी किया जा चुका है और जल्द काम शुरू होगा। लेकिन जब अदालत ने पूछा कि काम कब तक पूरा होगा, तो कोई स्पष्ट समयसीमा नहीं बताई जा सकी। इसके बाद अदालत ने सरकार को निर्देश दिया कि 16 सितंबर को अगली सुनवाई में जारी टेंडर की प्रति प्रस्तुत की जाए।
जल निकासी की समस्या गंभीर
मामले में याचिकाकर्ता ने बताया कि इस इलाके में नल और नाली का पानी एक साथ बहता है, क्योंकि अलग से जल निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है। सारा गंदा पानी बड़ा तालाब में जाकर गिरता है, जिससे स्वच्छता पर खतरा है। इस पर कोर्ट ने टिप्पणी की कि रांची को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित किया जा रहा है, लेकिन अब तक बेसिक ड्रेनेज सिस्टम तक सही नहीं है।
अगली कार्यवाही
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को सभी बिंदुओं पर विस्तृत जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है, जिसमें सड़क मरम्मत की समयसीमा, नाली व्यवस्था और पहले दिए गए निर्देशों के क्रियान्वयन की जानकारी शामिल होगी।