रांची, 19 अप्रैल: राजधानी रांची के रातू अंचल के तत्कालीन अंचल अधिकारी (CO) प्रदीप कुमार, राजस्व उप-निरीक्षक सुनील कुमार सिंह और एक दलाल जाफर अंसारी के खिलाफ रिश्वत लेने के मामले में मुकदमा चलाने की मंजूरी झारखंड सरकार से मिल गई है। यह स्वीकृति मिलते ही अब तीनों आरोपियों के खिलाफ न्यायिक कार्रवाई की प्रक्रिया तेज हो गई है।
सरकारी मंजूरी के इंतजार में अटका था मामला
मामले की जांच कर रहे अनुसंधान पदाधिकारी (IO) ने अभियोजन स्वीकृति की अनुमति के लिए राज्य सरकार से अनुशंसा की थी, जो हाल ही में मिल गई। इसके चलते 15 महीने से लंबित मामला अब आगे बढ़ा है। उल्लेखनीय है कि अभियोजन की स्वीकृति के अभाव में कई भ्रष्टाचार से जुड़े केस वर्षों तक ठंडे बस्ते में पड़े रहते हैं।
आईओ ने अभियोजन स्वीकृति के बिना ही 8 जनवरी 2024 को अदालत में चार्जशीट दायर कर दी थी, जिसे तकनीकी तौर पर अधूरी माना जाता है। अब स्वीकृति आदेश कोर्ट में जमा कर दिए जाने के बाद, एसीबी (भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो) की विशेष अदालत ने मामले में सुनवाई शुरू कर दी है।
15 मई को तीनों आरोपियों को पेश होने का निर्देश
कोर्ट ने तीनों आरोपियों को समन भेजकर 15 मई 2025 को न्यायालय में उपस्थित होने का आदेश दिया है। इस बीच सभी आरोपी जमानत पर रिहा हैं, लेकिन मुकदमे की प्रक्रिया अब औपचारिक रूप से शुरू हो चुकी है।
क्या है रिश्वत का पूरा मामला?
रांची निवासी राम सागर साव, जो एक पूर्व सैनिक हैं, ने रातू अंचल में 39 डिसमिल जमीन खरीदी थी। उन्होंने जमीन के दाखिल-खारिज (mutation) के लिए आवेदन दिया था। इस प्रक्रिया के एवज में उनसे ₹25,000 की रिश्वत मांगी गई। शिकायतकर्ता ने इसकी जानकारी एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) को दी।
एसीबी के एसपी के निर्देश पर एक विशेष छापामारी दल गठित किया गया, जिसने 9 नवंबर 2023 को तीनों आरोपियों को रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया था। गिरफ्तारी के बाद सभी को जेल भेजा गया था। विशेष रूप से प्रदीप कुमार के आवास से ₹2 लाख से अधिक की नकदी भी बरामद की गई थी।
राज्य में रिश्वतखोरी के कई केस लंबित
यह मामला सिर्फ एक उदाहरण है कि कैसे अभियोजन स्वीकृति के अभाव में भ्रष्टाचार से जुड़े गंभीर मामलों में भी कार्रवाई वर्षों तक रुकी रहती है। झारखंड में इस समय भी 13–14 साल पुराने कई केस सिर्फ स्वीकृति आदेश की प्रतीक्षा में लंबित हैं।