प्रयागराज महाकुंभ में एक के बाद एक हादसों ने श्रद्धालुओं और प्रशासन को हिला कर रख दिया है। बुधवार को मौनी अमावस्या के अवसर पर हुई भगदड़ में 30 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी और 60 से अधिक लोग घायल हो गए थे। इस घटना से लोग अभी उबर भी नहीं पाए थे कि गुरुवार को मेला क्षेत्र में भीषण आग लगने की घटना सामने आई।

कैसे लगी आग? जांच जारी

गुरुवार को प्रयागराज महाकुंभ के सेक्टर-22 में अचानक आग भड़क उठी। देखते ही देखते आग ने कई पंडालों को अपनी चपेट में ले लिया। आग की लपटें इतनी तेज थीं कि कुछ ही मिनटों में पंडाल जलकर खाक हो गए। हालांकि, राहत की बात यह रही कि जिस स्थान पर आग लगी, वहां उस समय श्रद्धालुओं की भीड़ नहीं थी। इसलिए किसी प्रकार की जनहानि नहीं हुई।

आग लगने की सूचना मिलते ही फायर ब्रिगेड की गाड़ियां तुरंत मौके पर पहुंचीं और काफी मशक्कत के बाद आग पर काबू पा लिया गया। प्रशासनिक अधिकारी भी तुरंत घटनास्थल पर पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया। फिलहाल आग लगने के कारणों का स्पष्ट रूप से पता नहीं चल पाया है। हालांकि, आशंका जताई जा रही है कि आग शॉर्ट सर्किट, रसोई गैस सिलेंडर फटने या किसी अन्य तकनीकी कारण से लगी हो सकती है। मामले की गहन जांच जारी है।

मौनी अमावस्या पर भगदड़ में गई थी 30 लोगों की जान

महाकुंभ का मौनी अमावस्या स्नान पर्व सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है, जिसके चलते बुधवार को लाखों श्रद्धालु संगम तट पर स्नान के लिए उमड़े थे। अनुमान के मुताबिक, इस दिन करीब तीन से चार करोड़ श्रद्धालु स्नान करने पहुंचे थे।

अत्यधिक भीड़ और अव्यवस्थित व्यवस्थाओं के कारण स्नान घाटों और आसपास के क्षेत्रों में भगदड़ मच गई। अफरा-तफरी के कारण कई श्रद्धालु एक-दूसरे पर गिर पड़े और दम घुटने या कुचलने से 30 लोगों की जान चली गई, जबकि 60 से अधिक घायल हो गए।

प्रशासन की तैयारियों पर उठे सवाल

लगातार हो रही घटनाओं ने मेला प्रशासन की तैयारियों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पहले भगदड़ और अब आग की घटना ने महाकुंभ की सुरक्षा व्यवस्था को कटघरे में खड़ा कर दिया है।

महाकुंभ में करोड़ों श्रद्धालु आते हैं, ऐसे में यह सुनिश्चित करना प्रशासन की जिम्मेदारी होती है कि सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हों। लेकिन मौनी अमावस्या पर हुई भगदड़ और उसके अगले ही दिन आग की घटना ने दर्शाया कि व्यवस्थाओं में कहीं न कहीं बड़ी चूक हुई है।

स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं का कहना है कि सुरक्षा मानकों की अनदेखी के कारण ऐसी घटनाएं हो रही हैं। हालांकि, प्रशासन का दावा है कि घटनाओं की जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

क्या उठाए जा रहे हैं कदम?

प्रशासनिक अधिकारियों ने आग की घटना के बाद प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया और स्थिति का जायजा लिया। मेला अधिकारियों ने दावा किया है कि सुरक्षा उपायों को और कड़ा किया जाएगा ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

फिलहाल पूरे मेला क्षेत्र में फायर ब्रिगेड की गश्त बढ़ा दी गई है, बिजली के कनेक्शनों की जांच की जा रही है और अस्थायी पंडालों में सुरक्षा उपायों की समीक्षा की जा रही है। इसके अलावा, भगदड़ की घटना के मद्देनजर भीड़ नियंत्रण के लिए अतिरिक्त सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की जा रही है।

श्रद्धालुओं की सुरक्षा सर्वोपरि

महाकुंभ दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है, जहां करोड़ों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने आते हैं। ऐसे में प्रशासन पर उनकी सुरक्षा की भारी जिम्मेदारी है। लेकिन पिछले दो दिनों में हुई घटनाओं ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या प्रशासन आने वाले दिनों में ऐसी घटनाओं को रोकने में सफल हो पाएगा या नहीं।

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