पटना के गर्दनीबाग धरना स्थल पर बीपीएससी (बिहार लोक सेवा आयोग) के अभ्यर्थियों का धरना आज लगातार 11वें दिन भी जारी रहा। अभ्यर्थी राज्य में परीक्षाओं में हो रही अनियमितताओं, भ्रष्टाचार और पेपर लीक जैसी समस्याओं के खिलाफ विरोध जता रहे हैं। इस बीच, जन सुराज अभियान के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने धरना स्थल पहुंचकर छात्रों का समर्थन किया।

छात्रों के भविष्य की चिंता

प्रशांत किशोर ने धरना स्थल पर बैठकर छात्रों की समस्याएं सुनीं और आश्वासन दिया कि उनका यह आंदोलन छात्रों के भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। उन्होंने कहा, “बिहार में कोई भी परीक्षा बिना अनियमितता, भ्रष्टाचार और पेपर लीक के नहीं होती। यह सिर्फ परीक्षा का मुद्दा नहीं है, यह बिहार के युवाओं और उनके भविष्य का सवाल है।”

गांधी मैदान में होगा छात्र संसद का आयोजन

प्रशांत किशोर ने घोषणा की कि सभी छात्र, युवा और उनके हित में काम करने वाले लोग कल पटना के गांधी मैदान में गांधी प्रतिमा के नीचे जुटेंगे। वहां ‘छात्र संसद’ का आयोजन होगा, जिसमें बिहार के छात्रों के भविष्य को बेहतर बनाने की रणनीति तय की जाएगी। प्रशांत किशोर ने कहा, “यह आंदोलन पूरी तरह छात्रों का है और इसका नेतृत्व भी छात्र ही करेंगे।”

शिक्षा प्रणाली पर सवाल

प्रशांत किशोर ने बिहार की शिक्षा प्रणाली पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि इस मुद्दे पर उन्होंने शिक्षा जगत के विशेषज्ञों और कोचिंग संस्थानों के संचालकों से चर्चा की है। सभी की राय है कि राज्य की शिक्षा व्यवस्था में सुधार के बिना युवाओं का भविष्य सुरक्षित नहीं हो सकता।

नीतीश सरकार पर निशाना

प्रशांत किशोर ने सरकार पर तीखा प्रहार करते हुए कहा, “बिहार लोकतंत्र की जननी है। कोई नीतीश कुमार या कोई नेता इसे लाठी तंत्र में नहीं बदल सकता।” उन्होंने कहा कि यह आंदोलन केवल सत्ता के विरोध में नहीं, बल्कि सिस्टम में बदलाव के लिए है।

आंदोलन को मिला बड़ा समर्थन

प्रशांत किशोर के गर्दनीबाग धरना स्थल पर पहुंचने से आंदोलन को नई ऊर्जा मिली है। छात्रों का कहना है कि उन्हें अपने संघर्ष में एक मजबूत साथी मिल गया है। अभ्यर्थियों ने उम्मीद जताई है कि इस पहल से उनकी समस्याओं का समाधान निकलेगा।

निष्कर्ष:
बिहार के युवा और प्रतियोगी छात्र अब केवल अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के खिलाफ ही नहीं, बल्कि एक बेहतर भविष्य और मजबूत शिक्षा व्यवस्था की मांग के लिए लामबंद हो रहे हैं। प्रशांत किशोर के समर्थन और छात्र संसद की पहल ने इस आंदोलन को एक नया आयाम दिया है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस आंदोलन का असर बिहार की शिक्षा व्यवस्था और राजनीतिक परिदृश्य पर कितना पड़ता है।

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