दुमका: आज दुमका के मयूराक्षी सिल्क उत्पादन केंद्र में रविन्द्र नाथ टैगोर एग्रीकल्चर कॉलेज, देवघर एवं बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, रांची के 20 छात्रों ने 15 दिवसीय ग्रामीण कृषि कार्य अनुभव कार्यक्रम के तहत भ्रमण किया। इस दौरान क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र के डॉ. ए. के. साहा और सेवा निवृत्त सहायक उद्योग निदेशक रेशम संथाल परगना, सुधीर कुमार सिंह उपस्थित थे।
कार्यक्रम का उद्देश्य
इस कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों को कृषि, विशेषकर सिल्क उत्पादन के विभिन्न पहलुओं से परिचित कराना था। छात्रों ने तसर कोकून के उत्पादन से लेकर धागे की निर्माण प्रक्रिया को करीब से देखा और समझा। साथ ही, विभिन्न प्रकार के रेशमी धागों के निर्माण और उनके उपयोग की जानकारी भी प्राप्त की।
तसर कोकून उत्पादन और धागे की प्रक्रिया
सेवा निवृत्त सहायक उद्योग निदेशक सुधीर कुमार सिंह ने छात्रों को तसर कोकून उत्पादन की प्रक्रिया समझाई। उन्होंने बताया कि कैसे सिल्क की कोकून से विभिन्न प्रकार के धागों का निर्माण किया जाता है, जो विभिन्न रेशमी वस्त्रों के लिए उपयोग में लाए जाते हैं। छात्रों को यह भी बताया गया कि कैसे इस तसर कोकून से उच्च गुणवत्ता वाले धागे तैयार होते हैं, जो फैशन, हैंडलूम उद्योग और अन्य बुनाई के काम में उपयोग किए जाते हैं।
छात्रों की प्रतिक्रिया
छात्रों ने इस भ्रमण को बेहद लाभकारी बताया और कहा कि उन्हें रेशम उत्पादन की प्रक्रिया के बारे में गहरी जानकारी मिली। उन्होंने बताया कि यह अनुभव उन्हें न केवल उद्योग के बारे में समझने में मदद करेगा, बल्कि भविष्य में कृषि आधारित उद्यमिता की दिशा में भी मार्गदर्शन देगा।
इस तरह के अनुभव छात्रों को उनके शिक्षण से परे व्यावसायिक कौशल और ज्ञान को बढ़ाने में मदद करेंगे। छात्रों ने भविष्य में भी ऐसे कार्यक्रमों को बढ़ावा देने की उम्मीद जताई ताकि अधिक से अधिक छात्र सीधे उत्पादकता और प्रक्रिया को समझ सकें।