रांची: हाल ही में, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ट्विटर के माध्यम से एक महत्वपूर्ण संदेश साझा किया, जिसमें उन्होंने महिलाओं के आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण के मुद्दे पर अपना दृष्टिकोण स्पष्ट किया। उन्होंने विभिन्न राज्यों में महिलाओं को दी जा रही आर्थिक सहायता योजनाओं की तुलना करते हुए केंद्र सरकार से भी इस दिशा में ठोस कदम उठाने की मांग की है।
झारखंड बनाम अन्य राज्यों की योजनाओं की तुलना
मुख्यमंत्री सोरेन ने अपने ट्वीट में बताया कि झारखंड में महिलाओं को 2100 रुपये प्रति माह देने की योजना बनाई गई है, जबकि उड़ीसा में यह मात्र 830 रुपये प्रति माह के हिसाब से, वह भी केवल पांच सालों के लिए दी जा रही है। इसके विपरीत, जम्मू-कश्मीर में केवल “माँ” योजना के तहत एक परिवार की एक महिला को लाभ मिल रहा है। मध्य प्रदेश में महिलाओं को 1000 रुपये दिए जा रहे थे, जो अब 1250 रुपये कर दिए गए हैं, लेकिन इसके साथ कई शर्तें भी लागू की गई हैं।
राष्ट्रीय महिला सशक्तिकरण योजना की मांग
सोरेन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि पूरे देश में महिलाओं के सम्मान और सशक्तिकरण के लिए एक समान योजना लागू की जानी चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि केंद्र सरकार महिला सम्मान के नाम पर हर महिला को 1100 रुपये प्रति माह की सहायता प्रदान करे और यह राशि आजीवन दी जाए। इसके साथ ही, उन्होंने आशंका जताई कि यदि केंद्र सरकार इस योजना को स्थायी रूप से लागू नहीं करती है, तो कुछ समय बाद इसे बंद करने की साजिश रची जा सकती है।
झारखंडी महिलाओं के लिए विशेष योजना
मुख्यमंत्री सोरेन ने झारखंड की महिलाओं के लिए भी एक विशेष योजना की घोषणा की, जिसमें राज्य सरकार हर झारखंडी महिला को 2500 रुपये प्रति माह देने की योजना पर काम कर रही है। इस योजना के तहत 18 से 50 वर्ष की हर महिला को बिना किसी शर्त यह राशि दी जाएगी। उन्होंने केंद्र सरकार से यह भी मांग की कि वह झारखंड के राज्यवासियों का बकाया 1 लाख 36 हजार करोड़ रुपये वापस करना शुरू करे, जिसके लिए सुप्रीम कोर्ट का आदेश भी मौजूद है। सोरेन ने कहा कि जैसे ही यह राशि राज्य सरकार को मिलेगी, वे इस माह से ही 2500 रुपये प्रति महिला की किश्त भेजना शुरू कर देंगे।
महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में एक कदम
मुख्यमंत्री सोरेन के इस कदम को महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा सकता है। उनका मानना है कि महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता प्रदान करके ही उन्हें समाज में समानता और अधिकार मिल सकते हैं। इसके साथ ही, उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि देश की हर महिला को 2500 रुपये प्रति माह की सहायता राशि दी जानी चाहिए ताकि महिलाओं के बीच भेदभाव न हो और उन्हें समान आर्थिक अधिकार मिल सकें।
निष्कर्ष
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का यह प्रयास झारखंड की महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। उनके द्वारा दी गई योजनाओं की तुलना से स्पष्ट है कि विभिन्न राज्यों में महिलाओं को आर्थिक सहायता देने की योजनाओं में भिन्नता है, और यह समय की मांग है कि देशभर में एक समान योजना लागू की जाए। सोरेन का यह संदेश न केवल झारखंड बल्कि पूरे देश में महिला सशक्तिकरण के लिए प्रेरणादायक हो सकता है, यदि केंद्र सरकार भी इस दिशा में ठोस कदम उठाए।