झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दशहरा के पावन अवसर पर जनता को शुभकामनाएं देते हुए एक महत्वपूर्ण संदेश दिया। उन्होंने ट्विटर के माध्यम से अपनी भावनाओं को व्यक्त किया और दशहरा को न केवल बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक बताया, बल्कि इसे आत्मचिंतन का अवसर भी बताया। अपने ट्वीट में उन्होंने सामाजिक बुराइयों के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने का आह्वान किया और विविधता को देश की ताकत बताया।
दशहरा: बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व
दशहरा को रावण के अहंकार और बुराई के विनाश के रूप में जाना जाता है। भगवान राम ने रावण का वध कर बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक स्थापित किया था, और तभी से दशहरा का पर्व सत्य, धर्म और न्याय के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस पर्व की महत्ता पर बल देते हुए कहा कि दशहरा केवल बाहरी बुराइयों को खत्म करने का दिन नहीं है, बल्कि यह आत्मचिंतन का भी अवसर है। उन्होंने सुझाव दिया कि इस दिन हमें अपनी आत्मा के भीतर झांककर देखना चाहिए और यह विचार करना चाहिए कि हम किस तरह से सामाजिक बुराइयों का सामना कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री का आह्वान: सामाजिक बुराइयों के खिलाफ संघर्ष
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने संदेश में असमानता, भेदभाव और अन्याय जैसी सामाजिक बुराइयों पर ध्यान केंद्रित किया। उनका मानना है कि दशहरा का असली उद्देश्य केवल धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि यह दिन सामाजिक समस्याओं को खत्म करने के लिए एकजुट होकर काम करने का अवसर भी होना चाहिए। उन्होंने कहा कि असमानता, भेदभाव और अन्याय जैसी समस्याएं आज भी हमारे समाज में गहरी जड़ें जमा चुकी हैं, और इनसे लड़ना हमारा नैतिक कर्तव्य है।
विविधता: हमारी ताकत
हेमंत सोरेन ने इस बात पर भी जोर दिया कि हमारी विविधता हमारी सबसे बड़ी ताकत है। भारत एक ऐसा देश है जो विभिन्न भाषाओं, संस्कृतियों, धर्मों और परंपराओं का अद्वितीय मिश्रण है। यह विविधता न केवल हमारी पहचान है, बल्कि हमारी शक्ति भी है। उन्होंने अपील की कि हमें अपनी विविधता को स्वीकार करना चाहिए और इसे एक समावेशी समाज का निर्माण करने के लिए उपयोग करना चाहिए, जिसमें सभी को समान अवसर और न्याय मिल सके।
न्यायसंगत और समावेशी भारत का निर्माण
मुख्यमंत्री ने अपने संदेश में एक न्यायसंगत और समावेशी भारत के निर्माण पर जोर दिया। उनका मानना है कि जब तक समाज में भेदभाव और असमानता जैसी समस्याएं बनी रहेंगी, तब तक सच्ची प्रगति संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि दशहरा का यह अवसर हमें यह संकल्प लेने का मौका देता है कि हम एक ऐसा भारत बनाएंगे, जहां हर व्यक्ति को समान अधिकार और सम्मान मिले, और जहां कोई भी व्यक्ति अन्याय का शिकार न हो।
शुभ दशहरा: आत्मचिंतन और समाज सेवा का संदेश
हेमंत सोरेन का संदेश दशहरा को एक नए दृष्टिकोण से देखने का आह्वान करता है। यह पर्व न केवल व्यक्तिगत बल्कि सामूहिक रूप से भी समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का अवसर हो सकता है। मुख्यमंत्री का यह संदेश हमें यह याद दिलाता है कि दशहरा केवल धार्मिक अनुष्ठानों का पर्व नहीं है, बल्कि सामाजिक सुधार और आत्मचिंतन का भी समय है।
निष्कर्ष
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दशहरा के अवसर पर एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है, जो न केवल धार्मिक महत्व को दर्शाता है, बल्कि समाज सुधार की दिशा में भी एक प्रेरणा प्रदान करता है। उन्होंने असमानता, भेदभाव और अन्याय जैसी समस्याओं से लड़ने के लिए एकजुट होने की अपील की और विविधता को भारत की सबसे बड़ी ताकत बताया। यह संदेश हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि हम किस तरह से समाज को बेहतर बना सकते हैं और एक न्यायसंगत और समावेशी समाज का निर्माण कर सकते हैं।