रांची, 22 जनवरी 2025
आज मुख्यमंत्री आवासीय कार्यालय में राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा, केंद्रीय कमेटी एवं केंद्रीय सरना समिति के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात की। इस अवसर पर प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को गुमला जिले के डुमरी प्रखंड स्थित सिरसी गांव में आगामी 3 फरवरी 2025 को आयोजित होने वाले सिरसी-ता-नाले दर्शन यात्रा (वार्षिक पूजा-प्रार्थना कार्यक्रम) में भाग लेने का औपचारिक निमंत्रण दिया।
सिरसी-ता-नाले दर्शन यात्रा का महत्व
सिरसी-ता-नाले दर्शन यात्रा सरना धर्मावलंबियों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है। यह वार्षिक पूजा-प्रार्थना कार्यक्रम न केवल सरना धर्म के अनुयायियों के लिए एक पवित्र अवसर है, बल्कि उनके सांस्कृतिक और सामाजिक एकजुटता को भी दर्शाता है। इस यात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु एकत्र होते हैं और अपनी परंपराओं का निर्वहन करते हैं।
प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि उनकी उपस्थिति इस आयोजन को और अधिक प्रभावशाली बनाएगी और इसे राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलाने में मदद करेगी।
सरना समिति की मांगें रखीं गईं
इस अवसर पर केंद्रीय सरना समिति ने मुख्यमंत्री को समुदाय से जुड़े विभिन्न मुद्दों और मांगों से अवगत कराया।
1. सरना धर्म को संविधान में अलग धार्मिक पहचान के रूप में मान्यता दिलाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया।
2. सरना स्थलों के संरक्षण और विकास के लिए विशेष योजनाओं की मांग की गई।
3. जनजातीय समुदाय के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक उत्थान के लिए ठोस प्रयास करने की अपील की गई।
मुख्यमंत्री ने प्रतिनिधिमंडल की मांगों को ध्यानपूर्वक सुना और आश्वासन दिया कि उनकी सरकार सरना धर्म और समुदाय के हितों को प्राथमिकता देगी। उन्होंने कहा कि यह सरकार सरना परंपराओं और संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
प्रतिनिधिमंडल में शामिल प्रमुख सदस्य
इस विशेष मुलाकात के दौरान प्रतिनिधिमंडल में शामिल प्रमुख सदस्य थे:
इस विशेष मुलाकात के दौरान प्रतिनिधिमंडल में शामिल प्रमुख सदस्य थे:
• केंद्रीय सरना समिति
• अध्यक्ष: अजय तिर्की
• कोषाध्यक्ष: प्रकाश हंस
• संरक्षक: सचिन कच्छप
• सदस्य: मुन्ना उरांव
• राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा
• राष्ट्रीय अध्यक्ष: नीरज मुंडा
• राष्ट्रीय उपाध्यक्ष: छोटेलाल करमाली
• राष्ट्रीय महासचिव: जलेश्वर उरांव
• राष्ट्रीय सचिव: करमा उरांव
• राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष: बिरसा उरांव
• प्रदेश धर्मगुरु: राजेश लिंडा
इसके अलावा, रामगढ़ जिले के धर्मगुरु संदीप उरांव, लोहरदगा जिले के धर्मगुरु फुलेश्वर उरांव, सोमदेव उरांव, श्रीमती जयंती उरांव, कृष्ण भगत, सुकेंदर भगत, बुंडू सरना प्रार्थना सभा के अध्यक्ष एतवा उरांव, नूतन कच्छप, सुधु भगत और भूलेश्वर भगत भी शामिल रहे।
मुख्यमंत्री की प्रतिबद्धता
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि सरना धर्म के अनुयायियों की भावनाओं का सम्मान करना और उनकी परंपराओं को संरक्षित करना सरकार का दायित्व है। उन्होंने सिरसी-ता-नाले दर्शन यात्रा के महत्व को स्वीकारते हुए इसमें शामिल होने की सहमति दी और इसे ऐतिहासिक रूप से सफल बनाने का आश्वासन दिया।
सरना धर्म का संरक्षण और संवर्धन
सरना धर्म झारखंड के आदिवासी समुदाय का मूल धर्म है, जिसकी परंपराएं प्रकृति पूजन और सांस्कृतिक धरोहर पर आधारित हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार सरना स्थलों के विकास के लिए ठोस कदम उठाएगी और सरना धर्म को राष्ट्रीय पहचान दिलाने के लिए हर संभव प्रयास करेगी।
निष्कर्ष
इस मुलाकात के दौरान सरना समुदाय के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री की पहल और उनकी प्रतिबद्धता की सराहना की। उन्होंने विश्वास जताया कि सरकार उनके धार्मिक और सांस्कृतिक हितों को आगे बढ़ाने में पूरी भूमिका निभाएगी। सिरसी-ता-नाले दर्शन यात्रा के सफल आयोजन की तैयारियों के लिए भी राज्य सरकार का सहयोग अपेक्षित है।