झारखंड सरकार मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में राज्य की बालिकाओं और युवतियों को कैंसर से बचाने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाने जा रही है। इसके तहत ‘मुख्यमंत्री बालिका कैंसर प्रतिरक्षण योजना’ शुरू की जाएगी। इस योजना के माध्यम से झारखंड की 9 से 25 वर्ष की आयु वर्ग की बालिकाओं और युवतियों को सर्वाइकल कैंसर समेत अन्य प्रकार के कैंसर से बचाने के लिए ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (एचपीवी) वैक्सीन मुफ्त में उपलब्ध कराई जाएगी।

सरकार की पहल

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने स्वास्थ्य विभाग को इस योजना का प्रस्ताव तैयार करने का निर्देश दिया है। स्वास्थ्य विभाग इस प्रस्ताव को तैयार कर कैबिनेट में स्वीकृति के लिए प्रस्तुत करेगा। इस योजना का उद्देश्य राज्य की बेटियों को सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए समय पर टीकाकरण कर उनकी सेहत को सुरक्षित बनाना है।

एचपीवी वैक्सीन और इसका महत्व

एचपीवी वैक्सीन सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए एक प्रभावी उपाय है। विशेषज्ञों के अनुसार, एचपीवी संक्रमण महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर का प्रमुख कारण है। यह संक्रमण मुख्यतः असुरक्षित यौन संपर्क, संक्रमण, या अन्य कारणों से फैलता है।
एचपीवी के दो प्रकार के टीके लगाए जाते हैं:

  1. 9 से 14 वर्ष की आयु वर्ग: इस आयु वर्ग की बालिकाओं को 6 से 12 माह के अंतराल पर दो खुराक दी जाती हैं।
  2. 15 से 25 वर्ष की आयु वर्ग: इस आयु वर्ग की युवतियों को तीन खुराक दी जाती हैं।

रांची के रिम्स (राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान) के कैंसर विशेषज्ञ डॉ. रोहित झा के अनुसार, अगर 9-15 वर्ष की आयु वर्ग की बालिकाओं को 5 माह से कम अंतराल में दो टीके दिए गए हैं, तो उन्हें एक और खुराक की आवश्यकता होती है।

झारखंड में सर्वाइकल कैंसर की स्थिति

सर्वाइकल कैंसर भारत में महिलाओं में सबसे आम प्रकार का कैंसर है। झारखंड जैसे राज्यों में, जहां स्वास्थ्य सेवाएं अभी भी सुधार के दौर में हैं, यह समस्या और भी गंभीर है। ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को समय पर जांच और इलाज नहीं मिल पाता, जिससे उनकी स्थिति जटिल हो जाती है।

योजना के लाभ

  1. स्वास्थ्य सुरक्षा: यह योजना राज्य की बालिकाओं और युवतियों को कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से बचाने में मदद करेगी।
  2. निःशुल्क टीकाकरण: आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की बालिकाएं भी इसका लाभ उठा सकेंगी।
  3. जागरूकता: योजना के तहत कैंसर और उसके रोकथाम के बारे में जागरूकता बढ़ाई जाएगी।

चुनौतियाँ और समाधान

झारखंड में इस योजना को लागू करना आसान नहीं होगा। राज्य के दूरदराज के इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुंच एक बड़ी चुनौती है। इसके अलावा, लोगों में टीकाकरण को लेकर जागरूकता की कमी भी योजना की सफलता में बाधा बन सकती है।
सरकार इसके लिए विशेष अभियान चलाकर ग्रामीण इलाकों में टीकाकरण शिविर आयोजित कर सकती है। इसके अलावा, आशा कार्यकर्ताओं और पंचायत स्तर पर स्वास्थ्य कर्मियों को शामिल कर इस योजना को सफल बनाया जा सकता है।

निष्कर्ष

‘मुख्यमंत्री बालिका कैंसर प्रतिरक्षण योजना’ झारखंड सरकार का एक स्वागतयोग्य कदम है। यह न केवल बालिकाओं और युवतियों की स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, बल्कि कैंसर के खिलाफ एक प्रभावी लड़ाई का उदाहरण बनेगा। इस योजना की सफलता राज्य के स्वास्थ्य तंत्र की मजबूती और लोगों की भागीदारी पर निर्भर करेगी।

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