रांची के 83 वर्षीय लोक गायक महावीर नायक को शनिवार को उनके कला क्षेत्र में दिए गए असाधारण योगदान के लिए पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया। छह दशकों से अधिक समय तक लोकगीतों के संरक्षण और संवर्द्धन में अपनी भूमिका निभाने वाले महावीर नायक ने 500 से अधिक लोकगीतों की रचना की है और 1000 से अधिक लोकगीतों का संग्रह किया है।
महावीर नायक मूल रूप से कांके प्रखंड के उरुगुटू गांव के निवासी हैं, लेकिन वर्तमान में हटिया के नायकटोली में रहते हैं। उनका कला क्षेत्र का सफर काफी प्रेरणादायक रहा है। 1992 में, उन्होंने पद्मश्री मुकुंद नायक के नेतृत्व में एक सांस्कृतिक टीम के साथ अंतरराष्ट्रीय दौरे पर भाग लिया। झारखंड आंदोलन के दौरान महावीर नायक ने मुकुंद नायक और मधु मंसूरी हंसमुख के साथ सांस्कृतिक आंदोलन में अपनी अहम भूमिका निभाई और ‘अखड़ा’ की सांस्कृतिक परंपरा को बचाने में योगदान दिया।
नागपुरी भाषा में उनके योगदान को विशेष रूप से फगुवा राग, पावस राग और मदारनी झूमर राग के लिए जाना जाता है। उनकी इस कला के लिए उन्हें वर्ष 2023 में संगीत नाटक अकादमी द्वारा अमृत अवार्ड से सम्मानित किया गया था।
सम्मान से प्रेरित और समर्पित
पद्मश्री सम्मान मिलने के बाद महावीर नायक ने इसे अपनी मेहनत और जुनून का परिणाम बताया। उन्होंने कहा कि यह सम्मान उन्हें झारखंड की कला, संस्कृति और संगीत की रक्षा और प्रचार-प्रसार के लिए और प्रेरित करेगा। साथ ही, उन्होंने उम्मीद जताई कि यह सम्मान कला और संस्कृति से जुड़े अन्य लोगों को भी प्रेरित करेगा।
महावीर नायक ने बताया कि उन्होंने 100 से अधिक कविताएं, 100 से अधिक गीत और कई कहानियां लिखी हैं। वर्तमान में वह “गीत में स्वर” नामक पुस्तक पर काम कर रहे हैं, जो लगभग पूरी हो चुकी है।
पारंपरिक संगीत की विरासत और संदेश
महावीर नायक घासी समुदाय से आते हैं और उन्होंने बताया कि उन्हें संगीत की प्रेरणा अपने पिता खुदु नायक से मिली, जो झूमर के पारंपरिक कलाकार थे। हालांकि, उन्होंने हेवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन (एचईसी) में 1962 से नौकरी की, लेकिन उनका पहला प्यार हमेशा संगीत ही रहा।
आज की पीढ़ी के लिए उन्होंने संदेश दिया कि युवा बॉलीवुड और डीजे गानों के साथ-साथ अपनी समृद्ध लोक कला, संस्कृति और संगीत में भी रुचि लें। उन्होंने कहा कि झारखंड की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित रखना युवाओं की जिम्मेदारी है।
महावीर नायक की यह यात्रा न केवल उनके योगदान को रेखांकित करती है, बल्कि यह इस बात का भी उदाहरण है कि कैसे एक व्यक्ति अपनी परंपराओं और जड़ों से जुड़कर कला के क्षेत्र में मिसाल कायम कर सकता है।