झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 की तैयारी जोर-शोर से चल रही है, और इसी बीच खूंटी विधानसभा सीट से एक अनोखा नामांकन देखने को मिला। भारतीय आदिवासी मोर्चा पार्टी के उम्मीदवार मसीह चरण मुंडा ने बुधवार को जेल में रहते हुए हथकड़ी पहने ही चुनावी मैदान में उतरने का फैसला किया। यह कोई पहला मौका नहीं है जब मसीह जेल से चुनाव लड़ रहे हैं। 2009 के विधानसभा चुनाव में भी मसीह ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की टिकट पर जेल से ही नामांकन किया था और उस वक्त उन्होंने भाजपा के उम्मीदवार नीलकंठ सिंह मुंडा को कड़ी टक्कर दी थी।

हाथों में हथकड़ी, मन में चुनावी जज्बा

मसीह चरण मुंडा बुधवार को खूंटी अनुमंडल कार्यालय में कड़ी सुरक्षा के बीच हथकड़ी पहने हुए पहुंचे। उन्होंने हाफ पैंट और टी-शर्ट में नामांकन किया। जमीन कब्जा कराने और रंगदारी मांगने के गंभीर आरोपों के चलते मसीह इस समय जेल में बंद हैं, लेकिन यह भी उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को रोक नहीं पाया। नामांकन प्रक्रिया के बाद मसीह ने कहा कि जनता अपने मुद्दों पर वोट करती है, और उनका मुख्य मुद्दा जल, जंगल, और जमीन की रक्षा है। मसीह का यह आत्मविश्वास बताता है कि वे अपने अभियानों और विचारधारा के जरिए जनता के बीच मजबूत पकड़ बनाए हुए हैं, भले ही वे जेल में हों।

फॉर्म भरते हुए मसीह।

जनता अपने मुद्दों पर करेगी वोटः मसीह

नामांकन दाखिल करने के बाद मसीह ने मीडिया से बातचीत में यह स्पष्ट किया कि जनता को जल, जंगल और जमीन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर वोट करना चाहिए। उनका कहना है कि जनता अपनी प्राथमिकताएं तय करती है और उसी आधार पर मतदान करती है। मसीह ने यह भी कहा कि उनके पास जनता का समर्थन है और वह चुनावी मैदान में अपनी पूरी ताकत से उतरेंगे।

खूंटी विधानसभा सीट का चुनावी मुकाबला

खूंटी विधानसभा सीट का चुनावी मुकाबला बेहद दिलचस्प होने जा रहा है। भाजपा के नीलकंठ सिंह मुंडा और मसीह चरण मुंडा के बीच पुराना मुकाबला फिर से देखने को मिलेगा। 2009 के विधानसभा चुनाव में मसीह ने झामुमो के टिकट पर नीलकंठ को कड़ी चुनौती दी थी। उस चुनाव में नीलकंठ को 32,067 वोट मिले थे, जबकि मसीह ने 31,631 वोट हासिल किए थे। दोनों के बीच का अंतर बेहद मामूली था, जो इस बार के चुनाव को और भी रोमांचक बनाता है। मसीह ने 2019 में भी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था, लेकिन इस बार वह भारतीय आदिवासी मोर्चा पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।

कैदी उम्मीदवार: एक राजनीतिक सवाल

मसीह चरण मुंडा का जेल से चुनाव लड़ना एक बार फिर यह सवाल उठाता है कि अपराध और राजनीति के बीच की सीमाएं कितनी धुंधली होती जा रही हैं। मसीह के खिलाफ कई गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं, लेकिन इसके बावजूद वे चुनावी मैदान में हैं। झारखंड जैसे राज्य में, जहां पर जल, जंगल और जमीन जैसे मुद्दे हमेशा से महत्वपूर्ण रहे हैं, ऐसे कैदी उम्मीदवार का चुनावी मैदान में उतरना कहीं न कहीं राजनीति की गंभीर स्थिति को दर्शाता है।

खूंटी विधानसभा सीट पर अब तक दो नामांकन

खूंटी विधानसभा सीट के लिए अब तक दो नामांकन दाखिल किए गए हैं। भाजपा के नीलकंठ सिंह मुंडा और अबुआ झारखंड पार्टी के सोमा मुंडा ने पहले ही नामांकन दाखिल किया था। मसीह चरण मुंडा का नामांकन इस मुकाबले को और दिलचस्प बना रहा है।

निष्कर्ष

खूंटी विधानसभा सीट का यह चुनाव कई मायनों में खास है। मसीह चरण मुंडा का जेल से चुनाव लड़ना और उनके हथकड़ी में नामांकन करने की घटना ने इस सीट को सुर्खियों में ला दिया है। एक तरफ नीलकंठ सिंह मुंडा का अनुभव और पार्टी का समर्थन है, तो दूसरी तरफ मसीह का संघर्ष और जनता के बीच उनकी पकड़ है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि खूंटी की जनता किसे अपना नेता चुनती है और क्या मसीह चरण मुंडा अपने जेल से चुनाव लड़ने के फैसले को सही साबित कर पाते हैं।

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