रांची: झारखंड में शिक्षकों की भारी कमी को लेकर झारखंड हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि प्राथमिक और उच्च विद्यालयों में खाली पड़े 26,000 पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया अगले दो से तीन महीनों में पूरी की जाए। कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि आगामी शैक्षणिक सत्र में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले, इसके लिए शिक्षकों की त्वरित नियुक्ति आवश्यक है।

कोर्ट की सख्ती के पीछे क्या है वजह?

राज्य के विभिन्न जिलों से दायर याचिकाओं में बताया गया है कि हजारों स्कूल ऐसे हैं जहां केवल एक शिक्षक कार्यरत हैं। शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 के अनुसार, प्रत्येक 30 छात्रों पर कम-से-कम एक शिक्षक होना अनिवार्य है, लेकिन झारखंड में 8,000 से अधिक स्कूल ऐसे हैं जहां यह मानदंड पूरा नहीं हो रहा।

याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट को अवगत कराया कि शिक्षकों की भारी कमी से छात्रों की पढ़ाई पर गंभीर असर पड़ रहा है, जिससे उनकी शैक्षणिक गुणवत्ता गिर रही है। कोर्ट ने इस स्थिति को चिंताजनक बताते हुए सरकार से शीघ्र ठोस कार्रवाई की मांग की।

जेएसएससी की प्रक्रिया और कोर्ट की प्रतिक्रिया

झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) ने अदालत को बताया कि शिक्षक नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन अभी कुछ परीक्षाएं बाकी हैं, विशेष रूप से कुरमाली, हो और पंचपरगनिया भाषाओं की। आयोग ने जनवरी 2026 तक पूरी प्रक्रिया संपन्न होने का दावा किया है।

हालांकि, कोर्ट ने इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि पहले ही काफी देरी हो चुकी है। अदालत ने सरकार और आयोग को निर्देश दिया कि शिक्षक नियुक्ति को प्राथमिकता देते हुए तय समयसीमा के भीतर प्रक्रिया को पूरा किया जाए।

जनजातीय भाषाओं के शिक्षकों की नियुक्ति पर विशेष निर्देश

हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को प्लस टू विद्यालयों में जनजातीय और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के 1373 स्वीकृत पदों पर नियुक्ति तीन माह के भीतर करने का आदेश दिया। शिक्षा सचिव की मौजूदगी में कोर्ट ने यह भी कहा कि नियुक्ति नियमावली के बहाने देरी को अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

क्या कहा सरकार ने?

सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता आशुतोष आनंद ने बताया कि नई नियुक्ति नियमावली बनाई जा रही है, जिसे अंतिम रूप देने में छह माह का समय लग सकता है। इसके बाद प्रक्रिया जेएसएससी को सौंपी जाएगी। लेकिन कोर्ट ने इस जवाब को अस्वीकार करते हुए नियुक्तियों में तेजी लाने के निर्देश दिए।

अगली सुनवाई की तारीख

अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 22 जुलाई 2025 की तारीख तय की है। कोर्ट ने संकेत दिया है कि यदि तब तक ठोस प्रगति नहीं दिखती, तो सरकार को कड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है

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