रांची
झारखंड में नक्सलियों के खात्मे की रणनीति अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है। वर्ष 2025-26 में कुल 125.54 करोड़ रुपये खर्च कर सरकार ने नक्सलियों के खिलाफ निर्णायक जंग छेड़ने का ऐलान किया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस योजना के लिए राशि जारी कर दी है, जिसे राज्य गृह विभाग के माध्यम से पुलिस मुख्यालय को सौंपा गया है।
कहां खर्च होंगे 125 करोड़ रुपये?
इस बजट का उपयोग नक्सल प्रभावित जिलों में निम्नलिखित क्षेत्रों में किया जाएगा:
- नक्सल अभियान संचालन
- लॉजिस्टिक सपोर्ट और खुफिया तंत्र की मजबूती
- नए सुरक्षा कैंपों का निर्माण
- संचार उपकरणों की खरीद
- हथियार और सुरक्षा संसाधनों की खरीद
- सुरक्षा बलों के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे का विकास
केंद्र सरकार की SRE स्कीम के तहत खर्च
यह पूरा बजट “Security Related Expenditure (SRE)” स्कीम के तहत पश्चिमी सिंहभूम सहित झारखंड के आठ नक्सल प्रभावित जिलों में खर्च किया जाएगा। साथ ही, विशेष केंद्रीय सहायता योजना (SCA) के तहत अतिरिक्त 100 करोड़ रुपये प्रस्तावित किए गए हैं।
नक्सलियों की ओर से शांति वार्ता की पेशकश
इसी बीच, भाकपा माओवादी के उत्तर-पश्चिम सब जोनल ब्यूरो के प्रभारी रूपेश ने मीडिया विज्ञप्ति जारी कर शांति वार्ता की पेशकश की है। हालांकि, माओवादियों ने इसके लिए छत्तीसगढ़ के बस्तर में चल रहे अभियान को रोकने की शर्त रखी है। सरकार इस प्रस्ताव पर विचार कर सकती है लेकिन फिलहाल नक्सल ऑपरेशन पूरे दम से जारी है।
2026 तक नक्सलमुक्त भारत का लक्ष्य
भारत सरकार ने मार्च 2026 तक पूरे देश को नक्सलमुक्त करने का लक्ष्य रखा है। झारखंड के चाईबासा, लातेहार, गढ़वा, लोहरदगा, सिमडेगा, गुमला समेत कई जिले अभी भी उग्रवाद से प्रभावित हैं। वहीं, सीआरपीएफ, झारखंड पुलिस और आईआरबी की टीम मिलकर लगातार सघन ऑपरेशन चला रही हैं।
छत्तीसगढ़ मॉडल से मिल रही प्रेरणा
छत्तीसगढ़ में इस साल की शुरुआत से ही नक्सलियों के खिलाफ अभूतपूर्व कार्रवाई हो रही है। सैकड़ों नक्सली मारे गए हैं और दर्जनों ने आत्मसमर्पण किया है। अब झारखंड सरकार भी इसी दिशा में ठोस कदम उठा रही है।
निष्कर्ष
झारखंड सरकार और केंद्र के साझा प्रयास से नक्सलवाद की जड़ें कमजोर हो रही हैं। 2026 तक नक्सलियों का पूरी तरह सफाया करने की तैयारी अंतिम चरण में है। आने वाले महीनों में जनता को नक्सल मुक्त और सुरक्षित झारखंड देखने को मिल सकता है।