झारखंड हाई कोर्ट ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में B.Tech की छात्रा के साथ दुष्कर्म और हत्या के दोषी राहुल राज की फांसी की सजा को बरकरार रखा। यह मामला 2016 का है, जब राहुल ने निर्दयता से छात्रा की हत्या कर उसके शव को जलाने का प्रयास किया था। इस जघन्य अपराध के लिए रांची की CBI कोर्ट ने उसे फांसी की सजा सुनाई थी, जिसे हाई कोर्ट ने भी सही ठहराया।

अपराध की दर्दनाक घटना

यह मामला 15 दिसंबर 2016 का है, जब छात्रा कॉलेज से घर लौटी थी। राहुल राज, जो पहले से ही छात्रा का पीछा कर रहा था, अगले दिन सुबह 16 दिसंबर को उसके घर में घुस गया। उसने ग्रिल का ताला खोला और छात्रा के कमरे में दाखिल हो गया। छात्रा ने कमरे को अंदर से बंद नहीं किया था, जिसका फायदा उठाते हुए राहुल ने उसके साथ दुष्कर्म किया। जब छात्रा बेहोश हो गई, तो उसने आयरन के तार से उसका गला घोंट दिया।

इसके बाद राहुल ने हत्या को छिपाने के लिए और भी भयावह कदम उठाया। उसने छात्रा के शव को कपड़े उतार कर बगल वाले कमरे में फेंक दिया और मोटर में डालने के लिए रखा मोबिल उसके शरीर पर डालकर आग लगा दी। इसके बाद वह दरवाजा सटाकर वहां से फरार हो गया।

पुलिस की सूझबूझ और राहुल की गिरफ्तारी

इस मामले की जांच के दौरान पुलिस ने बूटी बस्ती में मोबाइल कॉल डंप का उपयोग करते हुए राहुल राज का पता लगाया। इस प्रक्रिया में लगभग 300 लोगों से पूछताछ की गई थी। जांच के दौरान यह भी पता चला कि राहुल राज नालंदा का रहने वाला था और उसके खिलाफ पहले से ही पटना में एक नाबालिग से दुष्कर्म का केस दर्ज था। उस समय राहुल लखनऊ जेल में बंद था।

राहुल की पहचान को सुनिश्चित करने के लिए पुलिस ने उसके माता-पिता का डीएनए टेस्ट कराया। पीड़िता के स्वाब और नाखून से मिले अंश का डीएनए उसके माता-पिता के डीएनए से मैच कर गया, जिससे यह साबित हो गया कि राहुल ही अपराधी था। इसी आधार पर CBI की स्पेशल कोर्ट ने उसे 20 दिसंबर 2019 को दोषी ठहराया और 21 दिसंबर को उसे फांसी की सजा सुनाई गई।

हाई कोर्ट का निर्णय

राहुल राज ने अपनी फांसी की सजा के खिलाफ झारखंड हाई कोर्ट में अपील दायर की थी। उसकी अपील पर न्यायमूर्ति आनंद सेन और न्यायमूर्ति गौतम कुमार चौधरी की खंडपीठ ने सुनवाई की। लंबी बहस और कानूनी तर्कों के बाद, हाई कोर्ट ने सीबीआई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए राहुल की फांसी की सजा को सही ठहराया। अदालत ने माना कि इस जघन्य अपराध के लिए फांसी की सजा ही उपयुक्त दंड है, ताकि समाज में एक सख्त संदेश जाए और इस प्रकार के अपराधों की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।

सख्त न्यायिक प्रक्रिया की आवश्यकता

यह मामला केवल एक छात्रा की हत्या का नहीं था, बल्कि यह न्यायिक प्रणाली की उस जिम्मेदारी को भी उजागर करता है, जहां समाज के कमजोर और पीड़ित वर्गों को न्याय दिलाने की सख्त आवश्यकता होती है। राहुल राज के खिलाफ पहले से ही पटना में नाबालिग से दुष्कर्म का मामला दर्ज था, लेकिन इसके बावजूद वह इस जघन्य अपराध को अंजाम देने में सफल रहा।

इस मामले ने यह स्पष्ट कर दिया कि ऐसे अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई न केवल जरूरी है, बल्कि ऐसे मामलों में समाज और कानून की भूमिका भी बहुत महत्वपूर्ण होती है।

समाज में सख्त संदेश

झारखंड हाई कोर्ट का यह फैसला समाज में एक सख्त संदेश देता है कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा और अपराध करने वालों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। यह निर्णय समाज में यह विश्वास पैदा करता है कि कानून का राज कायम है और जो भी कानून का उल्लंघन करेगा, उसे कड़ी सजा मिलेगी।

इस घटना ने यह भी उजागर किया कि समाज में महिलाओं की सुरक्षा के लिए जागरूकता और ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। सरकार और न्यायपालिका को ऐसे अपराधों को रोकने के लिए सख्त कानूनों को लागू करने के साथ-साथ उनकी निगरानी भी करनी चाहिए।

निष्कर्ष

B.Tech छात्रा के साथ हुई यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना समाज के लिए एक चेतावनी है कि महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीरता से सोचा जाए और अपराधियों को सख्त से सख्त सजा दी जाए। राहुल राज को फांसी की सजा न केवल पीड़िता के परिवार को न्याय दिलाने का काम करेगी, बल्कि समाज में भी अपराधियों के लिए एक कड़ा संदेश पहुंचाएगी। झारखंड हाई कोर्ट का यह फैसला न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो यह साबित करता है कि कानून का पालन करना हर नागरिक की जिम्मेदारी है, और इसका उल्लंघन करने वालों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।

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