झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ चल रहे समन अवहेलना के मामले में 8 अक्टूबर 2024 को अगली सुनवाई होगी। यह मामला तब शुरू हुआ था जब प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मुख्यमंत्री पर जमीन की खरीद-बिक्री के मामले में समन की अवहेलना करने का आरोप लगाया था। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने समन के बावजूद कई बार अदालत में उपस्थित नहीं होने का निर्णय लिया, जिससे यह मामला और गंभीर हो गया।

मामला और आरोप

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय ने शिकायत दर्ज करवाई थी कि उन्होंने जमीन की खरीद-बिक्री से जुड़े मामलों में कई बार समन को नजरअंदाज किया। ED ने इस संबंध में कुल दस बार समन जारी किए, जिनमें से आठ समन पर हेमंत सोरेन अदालत में उपस्थित नहीं हुए। ED के अनुसार, 20 जनवरी और 31 जनवरी को हेमंत सोरेन केवल दो बार ED के समक्ष उपस्थित हुए। समन की इस अवहेलना को लेकर प्रवर्तन निदेशालय ने 19 फरवरी को उनके खिलाफ सीजेएम कोर्ट में शिकायत दर्ज की थी, जिसके आधार पर अदालत ने मुकदमा चलाने का निर्देश दिया था।

सुनवाई और अगली तारीख

हेमंत सोरेन की ओर से सशरीर उपस्थिति से छूट की याचिका दाखिल की गई थी, जिस पर आंशिक सुनवाई मंगलवार को MP-MLA कोर्ट के विशेष न्यायिक दंडाधिकारी सार्थक शर्मा की कोर्ट में हुई। सोरेन के अधिवक्ता प्रदीप चंद्रा ने बताया कि इस मामले में अदालत ने अगली सुनवाई की तिथि 8 अक्टूबर निर्धारित की है। इससे पहले, ED ने अदालत में अपना जवाब दाखिल किया था और अब आगामी सुनवाई में इस पर विस्तार से चर्चा की जाएगी।

हेमंत सोरेन का CJM कोर्ट के समन आदेश को चुनौती देना

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने CJM कोर्ट द्वारा जारी समन आदेश को झारखंड हाई कोर्ट में चुनौती दी है। सोरेन की दलील है कि उनकी उपस्थिति के संबंध में जारी किए गए समन में कई कानूनी विसंगतियां हैं। इससे पहले, CJM कृष्ण कांत मिश्रा ने 3 जून को यह मामला MP-MLA कोर्ट में स्थानांतरित किया था, जहां अब यह सुनवाई हो रही है।

ED की शिकायत

ED ने कोर्ट को बताया कि हेमंत सोरेन को भूमि से जुड़े मामलों की जांच के सिलसिले में कुल 10 बार समन भेजे गए थे, जिनमें से आठ बार उन्होंने उपस्थित होने से मना कर दिया। ED का कहना है कि समन की यह अवहेलना गंभीर है और इसके चलते मुख्यमंत्री के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की मांग की गई है। ED ने यह भी आरोप लगाया है कि हेमंत सोरेन ने जानबूझकर समन की अनदेखी की है, जो कि कानून का उल्लंघन है।

निष्कर्ष

यह मामला मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लिए एक बड़ी कानूनी चुनौती बन गया है। समन की अवहेलना से संबंधित यह मामला उनके राजनीतिक करियर के साथ-साथ उनकी सरकार की स्थिरता के लिए भी एक गंभीर मुद्दा बन सकता है। 8 अक्टूबर को होने वाली अगली सुनवाई पर राज्य की राजनीतिक और कानूनी माहौल की निगाहें टिकी रहेंगी, क्योंकि इस मामले का फैसला राज्य की राजनीति पर बड़ा असर डाल सकता है।

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