नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने ऐतिहासिक जीत की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। शुरुआती रुझानों में भाजपा ने 50 से अधिक सीटों पर बढ़त बनाई थी, हालांकि अंतिम आंकड़ों में यह संख्या घटकर 40 के करीब पहुंच गई। दूसरी ओर, आम आदमी पार्टी (आप) 30 सीटों पर अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रही है।

भाजपा ने बढ़त बनाई, आप को झटका

दिल्ली की सत्ता पर पिछले दस वर्षों से काबिज आम आदमी पार्टी इस बार बड़ी मुश्किल में दिख रही है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपनी पारंपरिक सीट नई दिल्ली से भाजपा के प्रवेश वर्मा के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं। कुछ समय के लिए वह आगे रहे, लेकिन बाद में भाजपा ने बढ़त बना ली।

अन्य सीटों की बात करें तो भाजपा कई महत्वपूर्ण विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त बनाए हुए है। त्रिनगर, मुंडका, शालीमार बाग, रोहिणी, नांगलोई जाट और मंगोलपुरी जैसी सीटों पर भाजपा ने आप को पीछे छोड़ दिया है। कृष्णा नगर, जहां से पहले भी भाजपा का दबदबा रहा है, वहां पार्टी के प्रत्याशी डॉ. अनिल गोयल ने आप के विकास बग्गा पर निर्णायक बढ़त बना ली है।

सीएम आतिशी और मनीष सिसोदिया भी पीछे

दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और सीएम पद की दावेदार मानी जा रही आतिशी भी अपने-अपने क्षेत्रों में भाजपा के उम्मीदवारों से पिछड़ती नजर आ रही हैं। चुनावी विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा का यह प्रदर्शन लोकसभा चुनाव 2024 में मिली सफलता का नतीजा है।

कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद कमजोर

दिल्ली चुनाव में कांग्रेस की स्थिति पहले से ही कमजोर मानी जा रही थी, और मतगणना के रुझानों ने इसे और स्पष्ट कर दिया है। ज्यादातर सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशी तीसरे स्थान पर हैं, और कुछ जगहों पर तो पार्टी की जमानत जब्त होने की संभावना है।

मतदान और मतगणना

दिल्ली की सभी 70 विधानसभा सीटों के लिए 5 फरवरी को मतदान हुआ था, जिसमें 60.54% वोटिंग दर्ज की गई थी। यह प्रतिशत 2020 के मुकाबले थोड़ा कम है, जब 62.60% मतदान हुआ था। मतगणना सुबह 8 बजे से शुरू हुई, और दोपहर तक रुझानों में भाजपा को स्पष्ट बढ़त मिल गई थी।

क्या भाजपा बनाएगी सरकार?

अगर यही रुझान अंतिम नतीजों में बदलते हैं, तो दिल्ली में भाजपा की सरकार बनना तय है। हालांकि, आम आदमी पार्टी ने अभी हार नहीं मानी है और कई सीटों पर कांटे की टक्कर चल रही है।

निष्कर्ष

दिल्ली चुनाव 2025 के नतीजे यह संकेत दे रहे हैं कि दिल्ली की राजनीति में बड़ा बदलाव संभव है। भाजपा, जो पिछले कई चुनावों से यहां संघर्ष कर रही थी, इस बार सत्ता के करीब पहुंचती दिख रही है। वहीं, आम आदमी पार्टी को अब रणनीति पर पुनर्विचार करना होगा। अब सभी की निगाहें अंतिम नतीजों पर टिकी हैं, जो यह तय करेंगे कि दिल्ली की सत्ता किसके हाथ में जाएगी।

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